सत्रह साल में पहली बार रामनवमी पर हिंसा रोकने में विफल रहे नीतीश: सुशील कुमार मोदी

पटना। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के दबाव में एक वर्ग विशेष के उपद्रवी तत्वों के प्रति नरमी और संवेदनशील इलाकों में पर्याप्त अर्धसैनिक बलों की तैनाती में देरी के कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 17 साल के कार्यकाल में पहली बार रामनवमी पर सासाराम और बिहार शरीफ में हिंसा-आगजनी की स्थिति बेकाबू हुई।
मोदी ने रविवार को बयान जारी कर कहा कि रामनवमी पर सासाराम और बिहार शरीफ में हिंसा को देखते हुए केंद्र सरकार अर्धसैनिक बलों की पर्याप्त टुकड़ियां भेजने को तैयार थी लेकिन अहंकार में डूबे मुख्यमंत्री ने सहायता लेने में देर की। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन सासाराम में धारा-144 और बिहारशरीफ में कर्फ्यू लगाने की घोषणा कर रहा है जबकि राज्य सरकार इससे इनकार कर रही है। प्रशासन में कोई तालमेल नहीं है। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दोनों शहरों के उन इलाकों में हिंसात्मक घटनाएं हुईं, जहां हिंदू अल्पसंखयक हैं। वे इतने सहमे हुए हैं कि वहां से पलायन की नौबत आ गई है। सरकार उन्हें सुरक्षा का भरोसा नहीं दिला पायी।
उन्होंने कहा कि राज्य के दो शहरों में तीसरे दिन भी हिंसा और विस्फोट की घटनाएं हुईं लेकिन दंगे जैसी गंभीर स्थिति को भी नीतीश कुमार कानून-व्यवस्था की समस्या नहीं मानते। मोदी ने कहा कि सासाराम में जहां बम विस्फोट हुए, वहां गड़बड़ी करने वालों के प्रति नरमी बरती जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि बिहारशरीफ की गलियों में पहले फ्लैग मार्च किया जाता, शोभायात्रा के मार्ग में पड़ने वाले घरों की छत की तलाशी ली जाती और उपद्रव की शुरुआत में ही कर्फ्यू लगाया गया होता तो इतने लोग घायल नहीं होते।
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