बरेली: पसंदीदा दुकानों से किताबें खरीदने को स्कूल कर रहे विवश, डीआईओएस ने अपनाया कड़ा रुख

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Published By Moazzam Beg
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बरेली, अमृत विचार। अप्रैल से नए शैक्षिक सत्र की शुरुआत हो जाएगी, लेकिन निजी स्कूलों में प्राइमरी और जूनियर कक्षाओं में प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो गई है। अभिभावकों पर प्रबंधन की ओर से मनमाना शुल्क वसूली का खेल भी शुरू हो गया है। इन दिनों अभिभावकों पर बच्चों का ड्रेस बदलने और पसंदीदा दुकानों से किताबों की खरीददारी को विवश किया जा रहा है। इस संबंध में शासन की मंशा के मुताबिक डीआईओएस ने भी कड़ा रुख अपनाया है।

उनका कहना है कि किसी भी स्कूल के खिलाफ अभिभावकों की शिकायत आने पर स्कूल प्रबंधन के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बल्कि दोषी पाए जाने पर संबंधित स्कूल की मान्यता भी रद्द की जा सकती है। स्थिति यह है कि स्कूल प्रबंधन की ओर से अभिभावकों को स्कूल के काउंटर पर ही पसंदीदा दुकानदारों के कार्ड मुहैया कराए जा रहे हैं। बल्कि दूसरी दुकानों से बच्चों के सामान लेने पर उसे वापस कर चयनित दुकानदार से ही लेने को विवश किया जाता है।

स्कूलों की मनमानी पर लगेगा अंकुश
शासन की ओर से जारी दिशा निर्देश के अनुसार हर साल बच्चों की यूनीफार्म व पुस्तकें नहीं बदली जाएंगी। स्कूल की ओर से अपने पसंदीदा दुकान से सामान खरीदने के लिए अभिभावकों पर कोई दबाव नहीं डाला जाएगा। स्कूल में कक्षावार शुल्क का विवरण स्कूल की वेबसाइट और सूचना पट पर भी दर्ज करना होगा।

कौन लगाए मनमानी पर अंकुश डीएम हैं जिला शुल्क नियामक समिति के अध्यक्ष
नियमानुसार निजी स्कूलों के उचित शुल्क निर्धारण के जिला शुल्क नियामक समिति का गठन किया गया है। जिसके अध्यक्ष जिलाधिकारी और सचिव डीआईओएस हैं, लेकिन अब तक के शैक्षिक सत्र में महज एक बार ही बैठक हुई है। पहली बैठक में भी किसी विशेष बिंदु पर चर्चा नहीं हुई थी, जिससे स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लग सके।

किसी भी निजी स्कूल की ओर से अभिभावकों से मनमाना शुल्क वसूली नहीं होगी। इस संबंध में जल्द ही निजी स्कूल के प्रधानाचार्यों व प्रबंधकों के साथ बैठक की जाएगी। यदि किसी भी स्कूल से मनमाना शुल्क वसूली की शिकायत मिली तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।- सोमारू प्रधान, डीआईओएस

जिला शुल्क नियामक समिति की पहली बैठक के बाद से अभी तक दूसरी बैठक नहीं हुई है। लेकिन जब तक बैठक नहीं होगी तब तक मनमानी होती रहेगी। समिति को अधिकार है कि मनमाना शुल्क वसूली पर रोक लगाएं।- अंकुर सक्सेना , सदस्य, जिला शुल्क नियामक समिति

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