आत्मनिर्भरता की ओर

नैनो यूरिया के बाद सरकार ने अब नैनो तरल डीएपी (डाई अमोनिया फॉस्फेट) उर्वरक को भी जैव सुरक्षा और विषाक्तता परीक्षणों के बाद मंजूरी दे दी है। उर्वरक के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में उठाए गए इस कदम से किसानों को फायदा होगा। यह कदम भारतीय कृषि और अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने वाला होगा।
रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नैनो डीएपी को मंजूरी मिलना किसानों का जीवन आसान बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे पहले नैनो यूरिया लांच किया गया था। इसे भी मंजूरी मिल चुकी है। बता दें कि यूरिया के बाद डीएपी देश में दूसरी सबसे ज्यादा खपत होने वाली खाद है। अभी तक ये पाउडर-गोलियों के तौर पर पीले रंग की बोरियों में उपलब्ध होता है। ये रसायन खाद पौधों के अंदर नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की कमी को पूरा करती है। इससे पौधों की जड़ के विकास में मदद मिलती है। देश में डीएपी प्रतिवर्ष 10 से 12. 5 मिलियन टन खपत होती है।
वहीं, भारत में इसका केवल चार से पांच मिलियन टन उत्पादन होता है। बाकी डीएपी आयात करना पड़ता है। नैनो डीएपी की एक बोतल डीएपी की एक बोरी उर्वरक के बराबर असरदार होगी। नैनो डीएपी का बाजार में उतारना उर्वरक में आत्मनिर्भरता की तरफ एक ओर बड़ी उपलब्धि कहा जा सकता है।
सरकार देश में किसानों को जैविक खेती करने का बढ़ावा दे रही है, इससे देश में उर्वरक की खपत में काफी कमी आएगी। यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद रहेगा। प्राकृतिक जैव विविधता बनाए रखने में मदद मिलेगी। इससे किसान की भूमि भी संरक्षित रहेगी और उत्पादन में भी वृद्धि होगी। सरकार के तय लक्ष्य के मुताबिक और जिस तेजी से इस दिशा में कार्य किया जा रहा है उन सभी के फलस्वरूप 2025 तक देश उर्वरक उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल कर लेगा।
नैनो-डीएपी की कीमत 600 रुपये प्रति बोतल रहेगी जो सामान्य डीएपी के 50 किलो के बैग के बराबर होगी। इस 50 किलो के बैग के लिए किसानों को 1,350 रुपये चुकाने होते हैं वह भी 2,000 रुपये से अधिक की सब्सिडी के बाद। ऐसे में नैनो उर्वरक फसल उत्पादन की लागत कम करने में मदद करेंगे और खेती का मुनाफा बढ़ाएंगे क्योंकि किसानों की लागत में बचत होगी और सरकार को भी उर्वरकों पर कम सब्सिडी का बोझ उठाना होगा। पारंपरिक उर्वरकों की तुलना में नैनो उर्वरकों के तमाम सकारात्मक पहलुओं को देखते हुए कहा जा सकता है कि इनके इस्तेमाल को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
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