बरेली: गर्भवतियों में खून की कमी पर नहीं लग रहे आयरन-सुक्रोज इंजेक्शन
जिला महिला अस्पताल में दो माह में सिर्फ 2 महिलाओं को लगाए गए इंजेक्शन
बरेली, अमृत विचार। ये लापरवाही नहीं तो और क्या है। खून से कमी से जूझ रहीं गर्भवतियों को आयरन सुक्रोज इंजेक्शन लगाने के निर्देश हैं, मगर महिला जिला अस्पताल में ये इंजेक्शन नहीं लगाए जा रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार दो माह में सिर्फ दो गर्भवतियों को इंजेक्शन लगाए गए हैं। गर्भवतियों को सही देखभाल की जरूरत होती है, अगर ऐसा नहीं किया जाए तो उनके शरीर में खून की कमी हो जाती है, जो जच्चा और बच्चा दोनों के लिए घातक है।
अस्पताल में हर माह करीब 500 से 700 गर्भवती महिलाएं भर्ती होती हैं। जांच में हर दूसरी मरीज में एनीमिया की पुष्टि हो रही है। अगर प्रसव एक दो दिन बाद किया जा सकता है तो गर्भवती को एएनसी वार्ड में भर्ती कर आयरन सुक्रोज इंजेक्शन के साथ इलाज दिया जाता है। बीते दिनों से ओपीडी में डॉक्टर समय पर नहीं पहुंच रहे हैं। वहीं मरीजों को भी ठीक प्रकार से परामर्श नहीं मिल रहा है। जब तक डॉक्टर ओपीडी में आए मरीजों की जांच कर उन्हें आयरन सुक्रोज की डोज लेने के पर्चे पर नहीं लिखेंगे, मरीज को ये सेवा नहीं मिल सकती।
क्या होता है एनीमिया?
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. मृदुला शर्मा के अनुसार गर्भधारण के दौरान अगर महिला को ठीक प्रकार से संतुलित आहार और पोषण नहीं मिलता है तो शरीर में ब्लड ही भारी कमी हो जाती है। हीमोग्लोबिन कम होने पर डॉक्टर तुंरत गर्भवतियों की डिलीवरी नहीं कर पाती हैं, जिससे जच्चा और बच्चा दोनों की जान को खतरा रहता है।
अस्पताल में आयरन सुक्रोज इंजेक्शन की उपलब्धता है। नवीन जिम्मेदारी मिलने के कारण इस ओर ध्यान नहीं गया। डॉक्टरों को निर्देशित किया जाएगा। जिससे मरीजों को सुविधा मिल सके- डॉ. पुष्पलता सम्मी, प्रभारी सीएमएस, जिला महिला अस्पताल।
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