पश्चिम बंगाल में रेरा का कामकाज शुरू: वरिष्ठ अधिकारी

पश्चिम बंगाल में रेरा का कामकाज शुरू: वरिष्ठ अधिकारी

कोलकाता। उच्चतम न्यायालय द्वारा केंद्रीय कानून के विकल्प के तौर पर पश्चिम बंगाल में लाए गए नियमन को खारिज किए जाने के करीब 18 महीने बाद पश्चिम बंगाल भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण (डब्ल्यूबीरेरा) का कामकाज शुरू हो गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। पिछले साल मई में शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल आवास उद्योग विनियामक अधिनियम (डब्ल्यूबीएचआईआरए) को ‘‘असंवैधानिक’’ घोषित किया था।

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पश्चिम बंगाल रेरा के अध्यक्ष का कार्यभार संभालने वाले संदीपन मुखर्जी ने बताया, ‘‘डब्ल्यूबीरेरा लागू होने के साथ हमने हाल में काम करना शुरू कर दिया है। जब तक बुनियादी सूचना प्रौद्योगिकी की व्यवस्था नहीं हो जाती, तब तक उपभोक्ता बिल्डर, एजेंट और अन्य लोगों के खिलाफ कार्यालय में मैनुअली शिकायत दर्ज करा सकेंगे।

वेबसाइट के एक पखवाड़े के भीतर चालू होने की उम्मीद है।’’ पश्चिम बंगाल शायद एकमात्र ऐसा राज्य था, जहां संसद द्वारा पारित भू-सम्पदा (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 लागू नहीं हो पाया था। डब्ल्यूबीरेरा का नेतृत्व भारतीय वन सेवा के पूर्व अधिकारी मुखर्जी कर रहे हैं और इसमें दो अन्य सदस्य - बी एन दास (ऊर्जा विभाग के पूर्व अधिकारी) और तापस मुखोपाध्याय (पीडब्ल्यूडी के पूर्व मुख्य अभियंता) शामिल हैं। मुखर्जी ने आवास खरीदारों से आग्रह किया कि वे उन संपत्तियों का सौदा न करें, जो डब्ल्यूबीरेरा के साथ पंजीकृत नहीं हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘सभी परियोजनाओं, उनके प्रवर्तकों और एजेंट को अनिवार्य रूप से नियामक के साथ पंजीकृत होना चाहिए। राज्य रेरा के पास प्रवर्तकों के खिलाफ मामला दर्ज करने और जुर्माना लगाने की शक्तियां हैं, लेकिन पुलिस की क्षमताएं नहीं हैं।’’

आवास खरीदारों के संगठन एफपीसीई ने हाल में पश्चिम बंगाल सरकार से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए राज्य में भू-सम्पदा कानून रेरा को जल्द से जल्द क्रियाशील बनाने का आग्रह किया था। उच्चतम न्यायालय का यह फैसला पीपल्स कलेक्टिव एफर्ट्स (एफपीसीई) द्वारा दायर एक याचिका पर आया था। एफपीसीई ने रेरा के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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