रुद्रपुर: 13 प्रस्तावों पर लगी पंचायत अध्यक्ष एवं सदस्यों की मोहर

रुद्रपुर: 13 प्रस्तावों पर लगी पंचायत अध्यक्ष एवं सदस्यों की मोहर

रुद्रपुर, अमृत विचार। जिला पंचायत सभागार में गुरुवार को हुई पंचायत बोर्ड की बैठक में तेरह प्रस्तावों पर बहसबाजी और आरोप-प्रत्यारोप के बीच पंचायत अध्यक्ष एवं सदस्यों ने मोहर लगाई। इसमें ग्राम पंचायतों में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर विशेष ग्राम सभा बैठक व क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत में संगोष्ठी का आयोजन करने, राज्य वित्त एवं 15वें वित्त के तहत प्राप्त होने वाली धनराशि के कार्यों को स्वीकृति देने आदि प्रस्ताव पारित हुए। इसके अलावा पंचायत अध्यक्ष सहित सदस्यों ने प्रस्ताव पारित किया कि प्रोटोकॉल के अनुसार पंचायत अध्यक्ष को हर शासकीय कार्यक्रम में बुलाया जाए, ग्रामीण इलाकों में कार्यक्रमों की अध्यक्षता या सूचना पंचायत सदस्यों को दी जाए।

अध्यक्ष पति ने सदस्यों को दी मानहानि की धमकी
जिला पंचायत बोर्ड की बैठक में जैसे ही दो पंचायत सदस्यों ने पंचायत अध्यक्ष से 14 करोड़ रुपये का हिसाब मांगा तो पंचायत अध्यक्ष पति सुरेश गंगवार भड़क गए। उन्होंने दोनों ही पंचायत सदस्यों को मानहानि की धमकी दे डाली। साथ ही नसीहत दी कि हिसाब का जवाब लेने के लिए सूचना के अधिकार का प्रयोग करें। बैठक में वह बार-बार सदस्यों को नसीहत देते रहे।

14 करोड़ की देनदारी सुन चौक उठे सदस्य
पंचायत बोर्ड की बैठक में 14 करोड़ के हिसाब की चर्चा अभी समाप्त भी नहीं हुई थी कि अचानक अपने संबोधन में अपर मुख्य अधिकारी तेज सिंह बोले कि पंचायत को अभी 14 करोड़ रुपये की देनदारी देनी है। जिसे सुनकर सभी पंचायत सदस्य चौंक उठे। सदस्यों ने अपर मुख्य अधिकारी पर सवालों की बौछार शुरू कर दी। उन्होंने अपर मुख्य अधिकारी से सदन के सामने 14 करोड़ की देनदारी कैसे हुई और जवाब मांगा। उन्होंने जवाब दिया कि जल्द ही देनदारी की एक सूची बनाकर सदस्यों को मुहैया करा दी जाएगी। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर सदस्यों ने नाराजगी जताई।

जब भड़क उठे डीपीटी, बोले- पत्रावलियां नहीं हैं लंबित
पंचायत बोर्ड की बैठक में जब पंचायत अध्यक्ष पति सुरेश गंगवार ने बताया कि पंचायत लगातार पंचायती इलाकों में विकास कार्य करवाने के लिए प्रयासरत है। मगर वितीय परामर्श दाता,अपर मुख्य अधिकारी द्वारा टेंडर पत्रावलियां लंबित हैं। डीपीटी विभाग में भुगतान की फाइलें लंबित पड़ी हैं। जिसे सुनकर अपर मुख्य अधिकारी ने भी हामी भर दी। डीपीटी उमेश सिंह डांगी ने आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने एएनए से कहा कि उनके द्वारा कागजों की कमी के कारण फाइलों को वापस किया जाता है। निविदा पत्रावलियां एक-एक बार में 250 आती हैं। जिसका निदान करने में समय लग जाता है। पुरानी फाइलें कोई भी लंबित नहीं है।