सदस्यों के समर्थन के बिना निर्णायक G-20 संभव नहीं : अमिताभ कांत

सदस्यों के समर्थन के बिना निर्णायक G-20 संभव नहीं : अमिताभ कांत

परिपत्र में समावेश और लचीलापन लिए विकास को बढ़ावा, स्थायी विकास लक्ष्य की प्रगति को तेज करना, स्वास्थ्य और शिक्षा, जलवायु वित्त, प्रौद्योगिकी सूचना एवं डिजिटल जन असंवरचना संबंधी चिंताओं को रेखांकित किया गया है।

उदयपुर। जी-20 में भारत के शेरपा अमिताभ कांत ने सोमवार को विश्व चुनौतियों से निपटने के लिए उम्मीद, सौहार्द्र और मरहम लगाने की भावना के साथ एकजुट होकर काम करने पर जोर दिया, जिसमें विकासशील देशों और वैश्विक दक्षिण (लातिन अमेरिकी, एशियाई, अफ्रीकी और ओशिनियाई क्षेत्र) के देशों पर ध्यान हो जिनकी आवाज अकसर अनसुनी रह जाती है। 

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भारत में जी-20 की बैठकों की कड़ी में शेरपाओं के सम्मेलन में कांत ने आधार, यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) और प्रत्यक्ष अंतरण जैसे भारत द्वारा उठाए गए कदमों को रेखांकित किया जिसकी वजह से बड़ी आबादी को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने में मदद मिली है। कांत ने कहा कि बैठक में हिस्सा लेने वालों के बीच 13 कार्य समूह को लेकर पहले ही परिपत्र साझा किए जा चुके है।

परिपत्र में समावेश और लचीलापन लिए विकास को बढ़ावा, स्थायी विकास लक्ष्य की प्रगति को तेज करना, स्वास्थ्य और शिक्षा, जलवायु वित्त, प्रौद्योगिकी सूचना एवं डिजिटल जन असंवरचना संबंधी चिंताओं को रेखांकित किया गया है। कांत ने कहा, हम सुनेंगे जो आप हमें बताएंगे और हम आपका नजरिया समझेंगे।
 
कांत ने रविवार को वैश्चिक कर्ज, महंगाई और विकासदर में गिरावट, यूक्रेन संघर्ष को लेकर मतभेद को दुनिया के समक्ष अहम चुनौतियों को रूप में रेखांकित किया। उन्होंने जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत की अध्यक्षता समावेशी, महत्वकांक्षी, कार्य उन्मुख और निर्णायक होगी।

कांत ने कहा, हम यह करेंगे लेकिन यह आपके के बिना क्रियान्वित नहीं हो सकता। इसलिए हम आपका समर्थन चाहते हैं, सकारात्मक और आगे की सोच के साथ आप सभी का समर्थन चाहते हैं ताकि जी-20 आकर्षक, बहुत गतिशील, वैश्विक विकास एवं वैश्विक स्थायी एवं डिजिटल बदलाव के प्रति बहुत ही सकारात्मक समूह के तौर पर उभरे।

डिजिटल अर्थव्यवस्था में प्रौद्योगिक बदलाव पर केंद्रित चर्चा के प्रारंभिक सत्र को संबोधित करते हुए कांत ने कहा, जिन चुनौतियों का सामना आज हम कर रहे हैं उनका समाधान केवल उम्मीदों, सौहार्द और मरहम लगाने विचार के साथ ही एकजुट होकर हो सकता है। हमारी चिंता पहले उनके प्रति होनी चाहिए जिन्हें इसकी सबसे अधिक जरूरत है।

उन्होंने कहा कि भारत जी-20 की अध्यक्षता के दौरान विकासशील देशों की प्राथमिकताओं और जी-20 सदस्यों के अलावा वैश्विक दक्षिण की आवाज को प्राथमिकता देना चाहता है। गौरतलब है कि एक दिसंबर को जी-20 की अध्यक्षता भारत ने औपचारिक रूप से ग्रहण की। जी-20 विकसित और विकासशील देशों की अंतर सरकारी मंच है। 

अर्जेंटिना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ संगठन के सदस्य है। जी-20 सदस्यों का वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 80 प्रतिशत, अंतरराष्ट्रीय व्यापार में 75 प्रतिशत और वैश्विक आबादी में दो तिहाई योगदान है। 

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