हिन्द प्रशांत क्षेत्र में खुली और नियम आधारित समुद्री सीमाओं का पक्षधर है भारत: राजनाथ सिंह

हिन्द प्रशांत क्षेत्र में खुली और नियम आधारित समुद्री सीमाओं का पक्षधर है भारत: राजनाथ सिंह

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में खुली, स्वतंत्र और नियम-आधारित समुद्री सीमाओं का पक्षधर तथा उनके प्रति संकल्पबद्ध है। सिंह ने शनिवार को यहां आयोजित एशियाई तटरक्षक एजेंसियों के प्रमुखों की 18वीं बैठक में उद्घाटन भाषण देते हुए जोर देकर कहा कि भारत की इतिहास में ऐसे …

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में खुली, स्वतंत्र और नियम-आधारित समुद्री सीमाओं का पक्षधर तथा उनके प्रति संकल्पबद्ध है। सिंह ने शनिवार को यहां आयोजित एशियाई तटरक्षक एजेंसियों के प्रमुखों की 18वीं बैठक में उद्घाटन भाषण देते हुए जोर देकर कहा कि भारत की इतिहास में ऐसे शांतिप्रिय समाज की पहचान रही है जिसने कभी भी किसी विदेशी भूमि पर आक्रमण नहीं किया है और हमेशा सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों और अन्य देशों की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया है और उन्हें समान भागीदार माना है।

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उन्होंने जोर देकर कहा कि महासागरीय क्षेत्र को पर्यावरण की दृष्टि से समग्र मानवता के लाभ के लिए वैश्विक सार्वजनिक के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए। रक्षा मंत्री ने कहा, हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में खुली, स्वतंत्र, नियम-आधारित समुद्री सीमाओं का सम्मान करते हैं, जिसमें किसी भी राष्ट्र को, चाहे वह कितना बड़ा हो उसे साझा जगह हथियाने या दूसरों को इसके उचित उपयोग से बाहर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। हम इस दिशा में विभिन्न मंचों पर सभी समान विचारधारा वाले साझेदार देशों के साथ काम करने के लिए हमेशा तैयार और आगे रहने वाले हैं।

सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत का साझा दृष्टिकोण ‘सागर’ (क्षेत्र में सभी की सुरक्षा और विकास), सतत विकास लक्ष्य और ‘समुद्र में नियम आधारित व्यवस्था’ हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में समावेशी विकास और स्थायी सहयोग पर केंद्रित भारतीय दृष्टिकोण का पूरक है। उन्होंने समुद्री अर्थव्यवस्था के संबंध में भारत के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला और आर्थिक विकास, बेहतर आजीविका , रोजगार तथा महासागर पारिस्थितिकी तंत्र के फायदों को संरक्षित करने के लिए समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग का जोरदार समर्थन किया।

रक्षा मंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय विनियमों को लागू करने, समुद्री सुरक्षा के लिए कानून बनाने, देशों के साथ सहकारी तंत्र स्थापित करने और समुद्री कानून प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमता निर्माण में शामिल होने के लिए भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत एशिया में समुद्री डकैती का मुकाबला करने के लिए क्षेत्रीय सहयोग समझौते और जलपोतों के खिलाफ सशस्त्र डकैती जैसे समझौतों के परिणामों से भी उत्साहित है और समुद्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आपसी सहयोग को एकमात्र सबसे प्रभावी तरीका मानता है। उन्होंने ऐसे तंत्र को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ने का आह्वान किया।

रक्षा मंत्री ने समुद्री सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने के लिए समुद्री देशों के बीच प्रभावी सहयोग का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि समुद्री यातायात में निरंतर वृद्धि के मद्देनजर समुद्री प्रदूषण का संभावित खतरा और अवांछित समुद्री घटनाओं के परिणामस्वरूप खोज और बचाव की आवश्यकता भी कई गुना बढ़ गई है।  सिंह ने समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने में तटरक्षक एजेंसियों की भूमिका की सराहना की।

उन्होंने कहा कि समुद्री पुलिस का कार्य करने और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के रूप में, तटरक्षक एजेंसियां सामूहिक रूप से काम कर रही हैं। सम्मेलन में ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, बांग्लादेश, ब्रुनेई, कंबोडिया, चीन, फ्रांस, भारत, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, लाओ , मलेशिया, मालदीव, म्यांमार, पाकिस्तान, फिलीपींस, सिंगापुर, श्रीलंका, थाईलैंड, तुर्की और वियतनाम की तटरक्षक एजेन्सी हिस्सा ले रही हैं।

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