कानपुर: पीएमआरवाई के लिए बनाएं एसओपी, ताकि न हो युवाओं का शोषण

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कानपुर। प्रोविंशियल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रांतीय उपाध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है और प्रधानमंत्री रोजगार योजना (पीएमआरवाई) के तहत ऋण लेने के लिए परेशान बेरोजगारों को राहत देने की मांग की है। कहा है कि योजना के माध्यम से केंद्र सरकार बेरोजगार युवाओं को ऋण देकर स्वावलंबी बनाने की दिशा में काम …

कानपुर। प्रोविंशियल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रांतीय उपाध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है और प्रधानमंत्री रोजगार योजना (पीएमआरवाई) के तहत ऋण लेने के लिए परेशान बेरोजगारों को राहत देने की मांग की है। कहा है कि योजना के माध्यम से केंद्र सरकार बेरोजगार युवाओं को ऋण देकर स्वावलंबी बनाने की दिशा में काम कर रही है, लेकिन इस योजना की सफलता में बैंक प्रबंधन रोड़ा बने हुए हैं। उद्योग विभाग ऋण दिलाने के लिए नोडल विभाग के रूप में नामित है।

विभागीय अधिकारी अपने स्तर से आवेदन कराते हैं। प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करते हैं और फिर परीक्षण कर उसे बैंक को भेज देते हैं, लेकिन कोई लाभ नहीं मिलता। प्रत्येक बैंक अपने- अपने हिसाब से आवेदनकर्ता से कागज और विभिन्न तरह के शुल्क मांगते हैं। आवेदन प्रपत्र और प्रोजेक्ट रिपोर्ट में कमियां बताते हैं। अगर उन कमियों को आवेदनकर्ता दूर भी कर देता है और लोन मंजूर हो जाता है तो भी समस्या कम नहीं होती, क्योंकि बैंक प्रबंधन द्वारा 15-15 पेज के स्वीकृति पत्र जारी किए जाते हैं। उनमें तमाम शर्तें होती हैं।

विभिन्न तरह के शुल्क लगाए जाते हैं। अलग- अलग शुल्क, कठिन शर्तों की वजह से तमाम आवेदनकर्ता लोन लेने के बजाय आवेदन निरस्त कराना ही उचित समझते हैं। दु:ख इस बात का है कि उद्योग विभाग से फाइल बैंक पहुंचने के बाद लोन कब स्वीकृत होगा इसकी कोई समय सीमा नहीं है। बैंक में फाइल पहुंचते ही दलाल भी सक्रिय हो जाते हैं और पांच से 10 प्रतिशत कमीशन पर लोन स्वीकृत कराने का दावा करते हैं। यह कहें कि सब्सिडी की आधी से अधिक राशि कमीशन देने में ही खत्म हो जाती है।

हमारी प्रधानमंत्री नरेंद्र् मोदी जी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी से यह मांग है कि इस प्रोजेक्ट के लिए पैन इंडिया पर स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर बनाया जाए। स्वीकृति पत्र की नियम शर्तों और शुल्क का स्टैंडर्ड फार्मेट बनाया जाए। ताकि सभी बैंकों की नियम शर्तें एक जैसी हों। उद्योग विभाग ही इस एसओपी का पालन आवेदनकर्ता और बैंक प्रबंधन से कराए। साथ ही उद्योग विभाग में आवेदन के कितने दिन में फाइल बैंक जाएगी और बैंक कितने दिन में उसे स्वीकृत करेगा इसकी भी समय सीमा निर्धारित की जाए।

बैंक आवेदनकर्ता से खुद संपर्क करने के बजाय प्रपत्र में जो भी कमियां हैं उसे उद्योग विभाग को बताए। उद्योग विभाग की कमियों को दूर कराए ताकि उसे भी पता रहे कि उसे द्वारा भेजी जाने वाली फाइल में क्या कमियां होती हैं। इससे बाद में जो भी आवेदन भेजे जाएंगे उसमें कमियों की पुनरावृत्ति नहीं होगी। फाइल भेजने से पहले ही विभाग कमियों को दूर करा लेगा। इससे आवेदनकर्ता का आर्थिक और मानसिक उत्पीड़न भी नहीं हो सकेगा। समय सीमा में कार्य न होने पर संबंधित अधिकारी, कर्मचारी की जवाबदेही भी तय की जाए।

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