हल्द्वानी: आजादी के दिन का यूं मजाक तो न बनाओ, शर्म करो… इन नन्हें बच्चों से सीखो

संजय पाठक, हल्द्वानी। आज पूरा देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर देशभक्ति के रंग में रंगा है। आजादी के 75वें अमृत महोत्सव के तहत देशभर में हर घर तिरंगा अभियान की गूंज है। ऐसे में क्या बच्चे क्या बड़े हर कोई लाखों देशभक्त शहीदों की कुर्बानियों से मिले इस खास दिन को अपने अपने अंदाज …
संजय पाठक, हल्द्वानी। आज पूरा देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर देशभक्ति के रंग में रंगा है। आजादी के 75वें अमृत महोत्सव के तहत देशभर में हर घर तिरंगा अभियान की गूंज है। ऐसे में क्या बच्चे क्या बड़े हर कोई लाखों देशभक्त शहीदों की कुर्बानियों से मिले इस खास दिन को अपने अपने अंदाज में सेलीब्रेट कर रहा है। हल्द्वानी स्टेडियम में सुबह पूरे सम्मान के साथ तिरंगा फहराया गया।

यहां शहर के विभिन्न स्कूलों के नन्हें मुन्ने बच्चों ने प्रभातफेरी निकालकर तिरंगे को सलामी दी। तो वहीं देशभक्ति और उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति और वेशभूषा में सजधजकर रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए।

वहीं दूसरी तरफ शहर की सड़कों पर आजादी का मजाक बनाने वाले युवाओं की फौज ने खूब हुड़दंग काटा। आजादी के जश्न के नाम पर नियम कायदों को रौंदने में जरा भी देरी नहीं लगाई। एक बाइक पर चार-चार युवा सवार थे तो कार की खिड़कियों पर बैठकर भी भारत माता की जय के नारे लगाए गए।

किसी भी दोपहिया वाहन सवार ने हेलमेट लगाना भी जरुरी नहीं समझा। खुद को बड़ा देशभक्त दिखाते इन युवाओं ने सुबह से दोपहर तक शहर भर में यातायात नियमों की खूब धज्जियां उडाईं लेकिन इन्हें रोकने वाला कोई नहीं था। न पुलिस न सीपीयू किसी ने भी इन्हें रोकने या टोकने की जहमत नहीं उठाई। उठाते भी कैसे इन सबके हाथ और गाड़ियों में तिरंगा जो फहरा रहा था।

जिस तिरंगे की आन बान और शान के लिए न जाने कितने ही देशभक्त युवाओं ने अपने प्राणों का बलिदान देने में जरा भी देर नहीं लगाई, आज आजादी के जश्न के बीच कुछ युवाओं ने उसे शर्मशार करने में जरा भी देर नहीं लगाई। जोश के साथ होश खो बैठे दोपहिया और चौपहिया पर सवार इन हुड़दंगी युवाओं ने सड़क पर पैदल चलते राहगीरों के साथ दुर्व्वहार करने में भी जरा सी देर नहीं लगाई। तो क्या यही है आजादी के मायने? क्या यातायात नियमों को तारतार कर भारत माता की जय के नारे लगाना जायज है? क्या तिरंगे को हाथ में लेकर माहौल को बिगाड़ना हमारी शान है? क्या ऐसे युवाओं से देश की समस्याओं के समाधान की उम्मीद की जा सकती है? ऐसे तमाम सवाल हैं जो इन आजादी के दिन इस हुड़दंग वाले जश्न को देखकर हर देशभक्त के मन में उठ रहे हैं।

ऐसे में क्या ये आज की जरूरत नहीं है कि कवि दुष्यंत की पंक्तियों “सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए, मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए” से सीख लेते हुए हम सबको मिलकर समाज के लिए एक प्रभावी पहल करनी होगी। हर नागरिक को अपनी जिम्मेदारी व कर्तव्य को समझना होगा तभी हम समझ पाएंगे आजादी के सही मायने।

देखें वीडियो: आजादी के जश्न के नाम पर हल्द्वानी की सड़कों पर तोड़े नियम कायदे