जन्माष्टमी के खास मौके पर लड्डू गोपाल को ऐसे करें तैयार, इन शुभ चीजों से करें नंद लाल का श्रृंगार
जन्माष्टमी के खास मौके पर हर घरों में तैयारियां चल रही है। खूब पकवान बनाए जा रहे हैं और कृष्ण के पालकी से लेकर मंदिर को फूलों से सजाया जा रहा है। लड्डू गोपाल के जन्म के बाद गोपाल को स्न्नान करा के नन्हें नंद के लाला का श्रृंगार किया जाता हैं। नन्हे बाल गोपाल …
जन्माष्टमी के खास मौके पर हर घरों में तैयारियां चल रही है। खूब पकवान बनाए जा रहे हैं और कृष्ण के पालकी से लेकर मंदिर को फूलों से सजाया जा रहा है। लड्डू गोपाल के जन्म के बाद गोपाल को स्न्नान करा के नन्हें नंद के लाला का श्रृंगार किया जाता हैं।
नन्हे बाल गोपाल की सजावट में कोई कमी ना रह जाए। इसके लिए ये बेहद जरूरी है कि कान्हा के जन्मोत्सव पर उनका श्रृंगार उनकी प्रिय और शुभ चीजों से कैसे किया जाए। इसके लिए हम आपको बताएंगे की इस खास मौके पर कैसे शुभ चीजों से बाल गोपाल का करें श्रृंगार।

कान्हा जी के वस्त्र
जन्माष्टमी के मौके पर बाल गोपाल को नए और सुंदर वस्त्र पहनाएं। मार्केट में कान्हा जी के लिए कई सुंदर और रंगबिरंगे वस्त्र मिलते हैं। आप पीले, हरे, लाल, नारंगी रंगों वाले वस्त्र कान्हा जी को पहना सकते हैं। इसके साथ ही आजकल मोरपंख से बने, फूलों वाले, मीनाकारी, जरदोरी जैसे वस्त्र भी मिलते हैं, जिसे आप से कान्हा जी को पहना सकते हैं।
बाल/केश
बाल गोपाल को घुघंरारे बाल लगाये ये गोपाल के मुख पर चार पे चांद लगाते हैं।

मोर मुकुट
भगवान कृष्ण को मुकुट पहनाएं जिसमें मोर पंख लगा हो। मोरपंख के बिना कान्हा का शृंगार अधूरा माना जाता है। इसलिए श्रीकृष्ण की मुकुट के साथ मोरपंख अवश्य लगाएं।
बांसुरी
श्रीकृष्णजी को बांसुरी अतिप्रिय होती है. एक कथा के अनुसार भगवान शिव ने जब उन्हें पहली बार देखा तो कृष्ण को बांसुरी भेंट में दी थी।

कड़े और बाजूबंध
आभूषण में आप कड़े और बाजूबंध से कृष्ण के हाथों का श्रृंगार कर सकत हैं। आप चाहे तो चांदी, सोना या मेटल आदि से बने किसी भी धातु के कड़े कान्हा जी को पहना सकते हैं।

कुंडल और कमरबंध
श्रीकृष्ण के कानों में जन्माष्टमी के दिन उनका श्रृंगार करते हुए सोने, चांदी या मोती से बने कुंडल जरूर पहनाएं। साथ ही कमर में कमरबंध भी पहनाएं।

सुदर्शन चक्र
श्री कृष्ण को चक्रधारी भी कहा जाता है. महाभारत काल में सिर्फ उन्हीं के पास ही चक्र था, जिसे सुदर्शन चक्र कहा जाता है. क्योंकि कृष्ण चक्रधर विष्णुजी के ही अवतार हैं।

गदा
कृष्ण भगवान कौमौदकी गदा, नंदक खड्ग और जैत्र नामक रथ रखते थे, जिनके सारथी का नाम दारुक/ बाहुक था।
पायल या पैजनियां
भगवान कृष्ण पैरों की पायल व पैंजनिया भी पहनते थे.इसलिए कान्हा का श्रृंगार करते समय पैरों में सुंदर पायल पहनाए जाते हैं।
माला
श्रीकृष्ण वैजयंती माला सबसे प्रिय होती है। इसलिए जन्माष्टमी पर आप उन्हें ये माला पहनाएं। इसके अलावा आप मोतियों की माला, पीले और लाल फूलों की माला से भी कान्हा का श्रृंगार कर सकते हैं।
काजल
काजल के बिना तो श्रृंगार अधूरा होता है। माता यशोदा अपने कान्हा का श्रृंगार करने के बाद उन्हें काजल जरूर लगाती थी। क्योंकि उनके सांवले सलोने रूप को बृजवासियों की नजर न लगे। जन्माष्टमी बाल गोपाल का काजल से श्रृंगार जरूर करें।
शारंग धनुष
श्री कृष्ण के धनुष का नाम ‘शारंग’ था। मान्यता है कि वही सारंग है, जिसे कण्व की तपस्यास्थली के बांस से बनाया गया था। एक मान्यता यह भी है कि यह धनुष उन्हें खांडव-दहन के वक्त वरुणदेव ने दिया था।
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