रायबरेली : करणी सेना के विरोध के चलते नहीं पुनर्स्थापित हो पाई आम्बेडकर प्रतिमा

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रायबरेली, अमृत विचार । जिले के परसदेपुर कस्बे में कुछ समय पहले तोड़ी गई डा भीमराव आम्बेडकर की प्रतिमा को पुनर्स्थापित करने का प्रयास प्रशासन ने विफल कर दिया है। निकाय अध्यक्ष द्वारा स्थापित की जा रही आम्बेडकर प्रतिमा का करणी सेना के लोग विरोध कर रहे थे। दिन भर चली पंचायत के बाद प्रशासन …

रायबरेली, अमृत विचार । जिले के परसदेपुर कस्बे में कुछ समय पहले तोड़ी गई डा भीमराव आम्बेडकर की प्रतिमा को पुनर्स्थापित करने का प्रयास प्रशासन ने विफल कर दिया है। निकाय अध्यक्ष द्वारा स्थापित की जा रही आम्बेडकर प्रतिमा का करणी सेना के लोग विरोध कर रहे थे। दिन भर चली पंचायत के बाद प्रशासन ने प्रतिमा को अपने कब्जे में लिया है।

परशदेपुर कस्बे में गुरुवार सुबह उस समय हड़कंप मच गया जब रातों रात बाबा साहेब डॉ भीमराव आम्बेडकर जी की मूर्ति स्थापित कर दी गई।नगर पंचायत अध्यक्ष विनोद कौशल द्वारा वार्ड नंबर दो के दासी टोला मुहल्ले में गुरुवार सुबह 11 बजे अनावरण की तैयारी चल रही थी,तभी करणी सेना के सदस्यों द्वारा बिना अनुमति के मूर्ति रखे जाने की शिकायत प्रशासन से कर दी और सोशल मीडिया पर पोस्ट वायरल कर दिया।

सूचना पाकर डीह थानाध्यक्ष पंकज सोनकर, परशदेपुर चौकी प्रभारी आशीष तिवारी मौके पर पहुंचे। पुलिस के पहुंचने पर अनावरण का कार्यकम रुक गया। उसके बाद मौके पर उपजिलाधिकारी सलोन राजेंद्र शुक्ला व क्षेत्राधिकारी सलोन अमित सिंह भी मौके पर पहुंचे। उपजिलाधिकारी द्वारा बताया गया कि शासन से अनुमति लेने के पश्चात ही मूर्ति स्थापित की जा सकती है। इस संबध में नगर पंचायतअध्यक्ष व मुहल्ले के लोगो ने बताया कि ये किसी मूर्ति की नई स्थापना नहीं है। कुछ समय पूर्व क्षतिग्रस्त मूर्ति को पुनर्स्थापित किया जा रहा है। इस बात को लेकर दिन भर चली वार्ता के बाद प्रशासन ने प्रतिमा जब्त करते हुए पहले अनुमति लेने की बात कही है।

भीम आर्मी भी आई सामने
मामले की सूचना पाकर भीम आर्मी के लोग भी मौके पर पहुंच गए थे। दोपहर बाद पीएसी के जवानों के साथ नसीराबाद थानाध्यक्ष दयानंद तिवारी, सलोन कोतवाल संजय त्यागी को भी मौके पर बुला लिया गया।

उसके बाद उपजिलाधिकारी व सीओ सलोन की फिर से नगर अध्यक्ष व मुहल्ले के लोगों से वार्ता शुरू हुई। बाद में निर्णय लिया गया कि प्रशासन द्वारा मूर्ति हटा कर कहीं सुरक्षित रख दी जाए। अनुमति मिलने पर पुनः भव्य तरीके से मूर्ति स्थापित की जाएगी। जिसके बाद प्रशासन द्वारा वहां से चारों तरफ कपड़ा लगाकर सभी का कैमरा बंद करवाकर मूर्ति हटा कर सुरक्षित स्थान पर रखवा दिया गया है।

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