बाराबंकी: छात्र-छात्राओं ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप, छात्रों का अनिश्चितकालीन धरना शुरू

बाराबंकी: छात्र-छात्राओं ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप, छात्रों का अनिश्चितकालीन धरना शुरू

अमृत विचार, बाराबंकी। मेयो मेडिकल कॉलेज एवं साइंसेज के छात्रों ने शनिवार को कालेज परिसर में अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया। आंदोलनरत छात्र छात्राओं का आरोप है कि इंटर्न कर रहे छात्रों को सीएल, स्टाइपेंड, नहीं दिया जा रहा है। साथ ही वर्किंग आवर 8 से 5 बजे तक है, जबकि हम सबसे एक घंटे …

अमृत विचार, बाराबंकी। मेयो मेडिकल कॉलेज एवं साइंसेज के छात्रों ने शनिवार को कालेज परिसर में अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया। आंदोलनरत छात्र छात्राओं का आरोप है कि इंटर्न कर रहे छात्रों को सीएल, स्टाइपेंड, नहीं दिया जा रहा है। साथ ही वर्किंग आवर 8 से 5 बजे तक है, जबकि हम सबसे एक घंटे अधिक काम लिया जा रहा है। धरने पर बैठे इंटर्नशिप कर रहे छात्रों ने बताया इन्ट्रेन्स में लिखित परीक्षा का प्राविधान एनएमसी डाइट लाइन में नहीं है।

ई- वैल्युएशन जरूर है वो भी विभागाध्यक्ष ले सकते हैं पर यहां तो उल्टी गंगा बह रही है मैनेजमेंट परीक्षा ले रहे हैं और उस परीक्षा का पेपर मैनेजमेंट बना रहा है । हमारे पीछे कोई बैच नहीं है इस लिए हम लोगों को रोकने का प्रयास किया जा रहा है । न तो हमें दो महीने से स्टाइपेंड का पैसा दिया जा रहा है न ही हमें सीएल दी जा रही है। बल्कि जिसने जितने दिन फीस नहीं जमा की।

उसे उतने दिन अनुपस्थिति दिखा फिर से उतने दिन काम करने के लिए बाध्य किया जा रहा है । इंटर्नशिप कर रहे छात्रों का कहना है हम पढ़ने आए हैं। बैग ले नहीं जा सकते, कापी ले नहीं जाने देते ।बाल बढ़े हों यहां तक की जूतों को लेकर भी सस्पेंड कर दिया जाता है और तो और 2 से 4 लाख रुपये का फाइन भी कर दिया जाता है।

छात्रों का आरोप है कि प्रबंध तंत्र आब्जेक्टिव पेपर न करा कर सब्जेक्टिव पेपर कराता है। जबकि आब्जेक्टिव परीक्षाएं होनी चाहिए। छात्रों ने बताया टीचर प्रोफेसर के स्थान पर जेआर पीजी प्रथम वर्ष के डाक्टर हमें पढ़ा रहें हैं। अनशन कारी इंटर्नशिप कर रहे छात्रों की मांग है एनसीएम गाइड लाइन के अनुसार प्रबंध तंत्र जब तक नहीं चलता हम अनशन करते रहेंगे।

प्रशासन हमेशा बच्चों के साथ है और रहेगा। बशर्ते बच्चे कालेज के रूल रेगुलेशन को फालो करें। बच्चों की ड्यूटी एनएमसी नार्मस के हिसाब से अलग अलग विभाग में ड्यूटी चेंज होती है। जब इन बच्चों को दूसरे विभाग में भेजा जाता है हमारे कालेज का नियम है विभागाध्यक्ष और एसोसिएट प्रोफेसर मिलकर एसाइनमेंट करते हैं।

जिन्हें बच्चों ने रिफ्यूज कर दिया। बच्चों के लिए कालेज के रूल रेगुलेशन है बच्चे चाहते हैं कालेज प्रशासन उसमें हस्तक्षेप न करें।हम जांच को भी तैयार हैं वो हमारे बच्चे हैं हम उनके साथ है। पर यह मेडिकल की पढ़ाई है जिसको लेकर हम समझौता नहीं कर सकते। मधुलिका सिंह-निदेशक मेयो मेडिकल कालेज एन्ड साइंसेज, बाराबंकी।

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