वाराणसी: रंगभरी एकादशी पर श्मशान में चिता की राख से खेली गई होली, उल्लास में डूबे शिवभक्त

वाराणसी। भगवान शिव की नगरी काशी में रंगभरी एकादशी के मौके पर श्मशान में चिता की राख से होली खेली गई। मोक्षदायनी गंगा नदी के तट पर बसे बनारस के महाशमशान हरिश्चंद्र घाट पर ये होली खेली गई। वाराणसी में सबसे पहले काशीवासियों ने अपने ईष्ट देव भगवान शिव के साथ होली खेली उसके बाद …
वाराणसी। भगवान शिव की नगरी काशी में रंगभरी एकादशी के मौके पर श्मशान में चिता की राख से होली खेली गई। मोक्षदायनी गंगा नदी के तट पर बसे बनारस के महाशमशान हरिश्चंद्र घाट पर ये होली खेली गई। वाराणसी में सबसे पहले काशीवासियों ने अपने ईष्ट देव भगवान शिव के साथ होली खेली उसके बाद महाशमशान में पहुंचकर चिता की भस्म से होली खेली।
इस होली का इतिहास करीब 350 साल पुराना है। यहां पर साल में ऐसा पहली बार होता है जब गमगीन माहौल में जल रही चिताओं की राख का महत्व बढ़ जाता है और गमगीन माहौल हर्ष में बदल जाता है। इस खास होली को देखने के लिए देश विदेश से लोग आते हैं। इस होली में भगवान शिव के पसंदीदा डमरू, घंटे, घड़ियाल, मृदंग का बोलबाला होता है।
भक्त नाचते गाते इस चिता भस्म की होली खेलते हैं। चिता भस्म की होली में भक्त एक दूसरे पर चिता की राख को लगाते हैं और होली का त्यौहार मनाते हैं। इसी के साथ काशी में होली के त्योहार की शुरुआत हो जाती है।
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