बरेली: हल्की सर्दी शुरू, अभी तक बच्चों का डेटा नहीं हुआ फीड, इस बार फिर से बच्चों के ठिठुरने के बन रहे आसार

बरेली, अमृत विचार। भ्रष्टाचार रोकने के लिए शासन ने परिषदीय स्कूलों में बच्चों को मिलने वाली यूनिफार्म, स्वेटर, जूते-मोजे बैग आदि के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) नाम की एक नई योजना शुरू की। जिसमें बच्चों का डाटा ऑनलाइन कर उन्हें सीधे बैंक अकाउंट से जोड़ा जाना है। जिसके बाद शासन से यूनिफार्म, स्वेटर, जूते-मोजे …
बरेली, अमृत विचार। भ्रष्टाचार रोकने के लिए शासन ने परिषदीय स्कूलों में बच्चों को मिलने वाली यूनिफार्म, स्वेटर, जूते-मोजे बैग आदि के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) नाम की एक नई योजना शुरू की। जिसमें बच्चों का डाटा ऑनलाइन कर उन्हें सीधे बैंक अकाउंट से जोड़ा जाना है। जिसके बाद शासन से यूनिफार्म, स्वेटर, जूते-मोजे आदि सभी का पूरा पैसा बच्चों के खाते में भेजा जाएगा। जिससे बच्चे खुद से सभी चीजें खरीद सकें। डीबीटी के काम की जिम्मेदारी स्कूल के शिक्षकों को सौंपी गई। मगर हैरत की बात यह है कि अभी तक पूरे प्रदेश में करीब 4166 स्कूलों ने डीबीटी एप पर काम शुरू ही नहीं किया है। इनमें बरेली के भी करीब 29 स्कूल शामिल है। उधर, हल्की सर्दी शुरू भी हो चुकी है, मगर अभी तक जब बच्चों का डेटा ही फीड नहीं हुआ तो यूनिफॉर्म और स्वेटर कब तक मिलेंगे। इस बार भी बच्चे ठंड में ठिठुरते हुए ही नजर आएंगे।
एक बच्चे को दिया जाना है कुल 1056 रुपए
इस योजना के तहत यूनिफार्म, स्वेटर, जूते-मोजे, आदि का कुल 1056 रुपये सीधे बच्चे या उसके अभिभावक के खाते में भेजा जाना है। जिसमें से दो यूनिफार्म के लिए 600 रुपये, स्वेटर के लिए 200 रुपये, जूता के लिए 135, मोजा के लिए 21 और स्कूल बैग के लिए 100 रुपये दिए जाने है। इससे पहले इन सभी के लिए टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाती थी। जिसमे तमाम तरह के घोटाले सामने आए थे।
क्या है डीबीटी एप
शिक्षकों की माने तो शासन ने बच्चों के खाते में सीधे रकम भेजने के लिए डीबीटी नाम का एक एप तैयार किया। जिसमें बच्चों का डाटा फीड करना था। इसी डाटा के आधार पर बच्चों के लिए धनराशि सीधे उनके खाते में भेज दी जाएगी। इस एप में बच्चे का नाम, पिता का नाम, माता का नाम, एड्रेस, पिन कोड, बैंक की खाता संख्या, आधार कार्ड, और मोबाइल नंबर की जरूरत है। मगर शुरूआत से ही इस एप में तमाम समस्याएं आ रही है।
शिक्षक संगठन बोले-
डीबीटी योजना होगी हवा-हवाई साबित
प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष नरेश गंगवार का कहना है कि शासन की यह डीबीटी योजना पूरी तरह से हवा-हवाई साबित होने वाली है। क्योंकि जिस तरह से शासन ने शिक्षकों को डेटा फीड करने की जिम्मेदारी दी है। वह ठीक नहीं, क्योंकि शिक्षकों को टैक्निकल जानकारी नहीं है। शासन को बीआरसी पर बैठे कंप्यूटर ऑपरेटरों को ही यह जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए।
इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा बच्चों को
वहीं, इस बारे में यूटा के जिला उपाध्यक्ष सतेंद्र कुमार का कहना है कि इस योजना के तहत अभिभावकों के खाते में पैसा भेजा जाना है। ऐसे में यह कंफर्म नहीं किया जा सकता कि बच्चों को स्वेटर, यूनिफार्म, जूते-मोजे आदि मिलेगें ही। हो सकता है अभिभावक वो पैसा निकालकर खर्च कर लें। इससे बेहतर था कि जब बच्चों को स्कूल से ही सभी चीजें दी जाती थी। तब वह सीधे बच्चों के पास पहुंचती थी।
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