Sri Lanka: उच्चतम न्यायालय ने दी गोटबाया और महिंदा राजपक्षे खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मंजूरी
कोलंबो। श्रीलंका उच्चतम न्यायालय ने पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे, पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और 37 अन्य के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं तथा अर्थव्यवस्था कुप्रबंधन के लिए कानूनी कार्रवाई संबंधी कई मौलिक अधिकारों की याचिकाओं पर कार्यवाही आगे बढ़ाने की अनुमति दे दी है। द आइलैंड अखबार ने शनिवार को बताया कि ये मामले ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल श्रीलंका …
कोलंबो। श्रीलंका उच्चतम न्यायालय ने पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे, पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और 37 अन्य के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं तथा अर्थव्यवस्था कुप्रबंधन के लिए कानूनी कार्रवाई संबंधी कई मौलिक अधिकारों की याचिकाओं पर कार्यवाही आगे बढ़ाने की अनुमति दे दी है। द आइलैंड अखबार ने शनिवार को बताया कि ये मामले ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल श्रीलंका (टीआईएसएल) और सीलोन चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष चंद्र जयरत्ने सहित अन्य लोगों द्वारा दायर किए गए थे। प्रतिवादी के रूप में नामित अन्य लोगों में पूर्व वित्त मंत्री बेसिल राजपक्षे के साथ-साथ वरिष्ठ अधिकारी हैं जो अब श्रीलंका मौद्रिक बोर्ड और सेंट्रल बैंक के साथ काम करते हैं या पहले इसका नेतृत्व करते थे।
महिंदा राजपक्षे इस साल मई तक प्रधानमंत्री थे और उनके भाई गोटबाया राजपक्षे जुलाई तक राष्ट्रपति थे। हिंसक प्रदर्शन होने के बाद गोटबाया श्रीलंका से भाग गए। देश की आर्थिक स्थिति खराब करने के लिए इनके एक अन्य भाई तुलसी राजपक्षे को भी जिम्मेदार माना जाता है। देश की अर्थव्यवस्था के ढहने से पहले तीनों भाइयों ने श्रीलंका पर शिकंजा जैसा बना रखा था। अदालत ने महालेखा परीक्षक को एक ऑडिट रिपोर्ट तैयार करने और तीन नवंबर तक एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जो कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले श्रीलंकाई रुपये के मूल्य को 203 रुपये पर निर्धारित करने के मौद्रिक बोर्ड की ओर से किए गए निर्णय के संबंध में आईएमएफ से सहायता मांगने में देरी पर आधारित होगा।
साथ ही 18 जनवरी को विदेशी भंडार का उपयोग करते हुए 50 करोड़ रुपये के सॉवरेन बांड के निपटान से संबंधित सभी मामले भी इस ऑडिट में शामिल होंगे। इसके अलावा उन्हें इस तरह के भुगतानों से सेंट्रल बैंक को हुए नुकसान का ऑडिट करने के लिए भी कहा गया है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि सेंट्रल बैंक के गवर्नर डॉ नंदलाल वीरसिंघे, पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे, पूर्व वित्त मंत्रियों महिंदा राजपक्षे और बासिल राजपक्षे, कैबिनेट, मौद्रिक बोर्ड, सेंट्रल बैंक के पूर्व गवर्नरों एवं ट्रेजरी के पूर्व सचिव को दिए गए सभी संचार तथा सिफारिशों की प्रतियां पेश करें।
जनवरी 2023 में इस मुद्दे को फिर से अदालत की ओर से उठाया जाएगा। पीठ में मुख्य न्यायाधीश जयंत जयसूर्या और न्यायमूर्ति बुवानेका अलुविहारे, विजित मललगोडा तथा एल टी बी देहदेनिया शामिल थे। वर्ष 1948 में स्वतंत्रता के बाद से श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसके कारण अभूतपूर्व मुद्रास्फीति और आवश्यक वस्तुओं की भी भारी कमी हो गई है। इस संकट के लिए काफी हद तक राजपक्षे परिवार को जिम्मेदार ठहराया गया है।
श्रीलंका में भ्रष्टाचार खत्म होना चाहिए
श्रीलंका के दो प्रमुख सांसदों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आह्वान करते हुए कहा है कि यह देश में कैंसर बन गया है। मुख्य विपक्षी दल एसएलपीपी पार्टी के प्रो जी एल पीरिस ने कहा कि श्रीलंका को अपने आर्थिक संकट से उबरने के लिए विदेशों से सार्थक सहायता प्राप्त करने से पहले ‘व्यापक भ्रष्टाचार’ को रोकने की जरूरत है। द आइलैंड अखबार ने संसद में कही गयी सांसद पीरिस की बातों के हवाले से कहा,“विश्व बैंक ने कहा है कि जब वह भविष्य में श्रीलंका को सहायता और ऋण देगा, तो वह खुद ऑडिट करेगा। हमें वास्तव में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को समाप्त करने की आवश्यकता है।”
समागी जाना बालवेगया (एसजेबी) के सदस्य और श्रीलंका के पूर्व सेना प्रमुख सरथ फोन्सेका ने कहा कि सरकार को पहले भ्रष्टाचार से लड़ना चाहिए। उन्होंने कहा,“सबसे पहले, हमें देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के बारे में कुछ करना चाहिए। नेता देश को लूट रहे हैं और चूस रहे हैं। इससे गरीबी में विस्फोट हुआ है।” श्री फोन्सेका के हवाले से कहा गया कि जब तक भ्रष्ट राजनेताओं को संसद से खदेड़ नहीं दिया जाता, कार्यकारी अध्यक्ष पद को समाप्त करने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा,“मान लीजिए कि हम इस सप्ताह कार्यकारी अध्यक्ष पद को समाप्त कर देते हैं। फिर किसे जिम्मेदारी सौंपी जायेगी? भ्रष्ट मोटी बिल्लियों का एक झुंड कार्यभार संभालेगा। सबसे पहले बदमाशों से छुटकारा पाएं। अगर राष्ट्रपति ऐसा करते हैं तो हम उनका समर्थन करेंगे।”
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