प्रौद्योगिकीय वर्चस्व के लिए

प्रौद्योगिकीय वर्चस्व के लिए

प्रौद्योगिकी की मदद से जीवन को आसान और बेहतर बनाया जा सकता है। वर्तमान में प्रौद्योगिकी के बिना कोई विकास नहीं हो सकता। विश्व प्रौद्योगिकीय वर्चस्व के लिए एक अभूतपूर्व दौड़ का साक्षी बन रहा है। शुरुआत से ही प्रौद्योगिकी हमारे जीवन में एक कारक था। प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं उनके भविष्य को आकार देने में उन्नत प्रौद्योगिकियों की महत्वपूर्ण भूमिका को चिह्नित कर रही हैं। 

अपनी समृद्ध वैज्ञानिक विरासत और प्रौद्योगिकी-संचालित अर्थव्यवस्था की आकांक्षाओं के साथ भारत स्वयं को एक ऐसे चौराहे पर देख रहा है, जहां उसे इस वैश्विक प्रौद्योगिकीय दौड़ में चुनौतियों और अवसरों दोनों का सामना करना पड़ रहा है। भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सशक्त क्षमता रखता है और हमें अपनी इस क्षमता को स्थायी विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में लगाना है। 

चीन ने प्रौद्योगिकी एवं नवाचार को रणनीतिक उद्देश्य के रूप में प्राथमिकता देने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। दूसरी ओर, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप ने भी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में अपनी नेतृत्वकारी स्थिति की पुनः प्राप्ति के लिए और इसे बनाए रखने के लिए प्रयासों को तेज़ कर दिया है। भारत अमेरिका और चीन के बाद विश्व में प्रौद्योगिकी स्टार्टअप के तीसरे सबसे बड़े आधार वाला देश है। 

एक बढ़ती उद्यमशील संस्कृति और सहायक परितंत्र के साथ भारत के स्टार्टअप और छोटे व्यवसायों से न केवल आर्थिक और व्यावसायिक रूपांतरण को आगे ले जाने की उम्मीद की जाती है, बल्कि भारत के पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के स्वप्न को साकार करने में एक प्रमुख विकास चालक के रूप में उन्होंने अपनी स्थिति और भूमिका को भी सबल किया है। स्थायी विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों से लड़ने में अनुकूलन एवं रोकथाम जैसे प्रयास नाकाफी हैं।  

उल्लेखनीय है कि सूचना, पूर्वानुमान एवं मूल्यांकन परिषद (टाइफैक)  द्वारा ही विजन-2020 और विजन-2035 जैसे दृष्टिपत्र तैयार किए गए हैं जिसमें देश के समग्र एवं संवहनीय विकास पर केंद्रित रूपरेखा प्रस्तुत की गई है। टाइफैक प्रौद्योगिकी विजन-2047 दस्तावेज में प्रभावी कार्ययोजना को शामिल करना चाहिए। भारत वर्ष 2030 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में लगभग 10 प्रतिशत की वृहत हिस्सेदारी प्राप्त करने का लक्ष्य रखता है। 

भारत को उभरते प्रौद्योगिकी रुझानों और बाज़ार की मांगों के अनुरूप सहयोगात्मक रूप से अभिकल्पित एवं कार्यान्वित करने के लिए उद्योग जगत, शिक्षा क्षेत्र एवं सरकार के बीच ‘टेक्नोस्किल्स एलायंस’ को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। भारत के वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा में बने रहने के लिए प्रौद्योगिकी रणनीति में सुधार आवश्यक हैं। भारत को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महाशक्ति के रूप में स्थापित करना भारत का लक्ष्य है जिसके लिए स्वयं को समर्पित करने के साथ-साथ एक विस्तृत रूपरेखा की आवश्यकता है।