Fatehpur: बाहर के खाने से अधिक नुकसानदायक है बासी खाना, लोग हो रहे बीमार, खराब खाने की ऐसे करें पहचान...

बाल रोग की ओपीडी में 50 फीसदी बच्चे पेट दर्द के रोगी

Fatehpur: बाहर के खाने से अधिक नुकसानदायक है बासी खाना, लोग हो रहे बीमार, खराब खाने की ऐसे करें पहचान...

 

फतेहपुर, अमृत विचार। बदन झुलसाने वाली गर्मी के बीच लोग इस गलतफहमी में फूड प्वॉइजनिंग के शिकार हो रहे हैं कि बाहर खुले में बिक रहे खाने के सामानों से अच्छा घर में पका हुआ खाने का सामान होता है भले ही वह बासी हो। ऐसे लोग बासी खाना खाकर बीमार होकर जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं। 

डॉक्टर उन्हें समझा रहे हैं कि खाना या नाश्ता घर का है या बाहर का इससे अधिक महत्वपूर्ण है कि वह ताजा होना चाहिए। ताजा खाद्य पदार्थ बाहर का भी हो तो फूड प्वॉइजनिंग का खतरा उतना नहीं रहता जितना बासी खाने से होता है। चाहे वह घर में ही पूरी साफ सफाई से बनाया गया हो।

शादी-विवाह का समय शुरू होने व तापमान 40 डिग्री के ऊपर जाने के बाद से जिला अस्पताल में फूड प्वाइजनिंग के मरीज पहुंचना शुरू हो गए हैं। वरिष्ठ फिजीशिएन डॉ. एनके सक्सेना के मुताबिक मरीजों से पूछने पर पता चल रहा है कि उनमें से अधिकांश को बासी नाश्ता या खाना खाने के बाद ही पेट में शिकायत हुई है। 

उन्होंने बताया कि मरीजों से बातचीत में पता चला है कि वह बाहर खुले में बिक रहे खाने के सामानों को नुकसानदायक समझ रहे हैं। लेकिन घर में बने बासी खाने को वह उतना नुकसानदायक नहीं मानते। ऐसे मरीजों को डॉक्टर समझा रहे हैं कि गर्मी बढ़ने पर खाने में बैक्टीरिया बहुत तेजी से बढ़ने लगते हैं। इससे खाना जल्द खराब हो रहा है। ऐसे में बासी खाने को खाने से लोग बीमार पड़कर अस्पताल पहुंच रहे हैं।

40 डिग्री के ऊपर तापमान में तेजी से बढ़ते हैं बैक्टीरिया

वैसे तो बैक्टीरिया 5 डिग्री तापमान के ऊपर पारा पहुंचते ही बढ़ने लगते हैं। लेकिन तब इनकी गति धीमी होती है। लेकिन जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है वैसे ही बैक्टीरिया के पनपने की गति तेज होती जाती है। पारा 40 डिग्री के ऊपर जाने लगता है तो बैक्टीरिया के पनपने की गति इतनी तेज हो जाती है कि कुछ ही मिनट में इनकी संख्या कई गुना हो जाती है।

बच्चे अधिक हो रहे बीमार, पहुंच रहे अस्पताल

बच्चों का पाचन तंत्र ही नहीं बल्कि रोग प्रतिरक्षातंत्र भी वयस्कों की अपेक्षा कमजोर होता है। इससे बच्चे बासी खाना खाते ही फूड प्वाइजनिंग की चपेट में आ जा रहे हैं। बाल रोग की ओपीडी में 50 फीसदी तक बच्चे पेट की समस्या परेशान आ रहे हैं। 

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. मूलचन्द्रा का कहना है कि पूछते ही बच्चों के परिजन एक झटके में कहते हैं कि बाहर का कुछ नहीं खिलाया है। ऐसे लोगों को समझाया जा रहा है कि खाना बाहर का हो या घर का इससे अधिक महत्वपूर्ण है कि खाना कितनी देर पहले का पका है। डॉक्टर बच्चों को कुछ भी बासी खिलाने से मना कर रहे हैं।

ऐसे करें बचाव

-खाना या नाश्ता बनते ही ठंडा होने के पहले खा लें।
-खाना रखना मजबूरी हो तो रेफ्रीजरेटर या ठंडे पानी के बर्तन में रखें।
-बच्चों को एक घंटे से अधिक देर पहले का पका खाना न खिलाएं।
-शरीर में पानी और नमक की कमी न होने दें।

खराब हुए भोजन की ऐसे करें पहचान

-भोजन का रंग बदलने लगता है।
-भोजन का स्वाद बदल जाता है।
-भोजन से अजीब गंध आने लगती है।
-भोजन पहले की अपेक्षा मुलायम हो जाता है।
-भोजन की ऊपरी सतह पर फंफूद दिखने लगती है।

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