शारदीय नवरात्र के छठे दिन करें मां कात्यायनी की पूजा, यहां जानिए पूजा विधि, भोग, आरती और मंत्र

शारदीय नवरात्र के छठे दिन करें मां कात्यायनी की पूजा, यहां जानिए पूजा विधि, भोग, आरती और मंत्र

नई दिल्ली। शारदीय नवरात्रि के छठे दिन देवी दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। दरअसल, ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लेने के कारण देवी मां को कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। मां दुर्गा का ये स्वरूप अत्यन्त ही दिव्य है। इनका रंग सोने के समान चमकीला है, तो …

नई दिल्ली। शारदीय नवरात्रि के छठे दिन देवी दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। दरअसल, ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लेने के कारण देवी मां को कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। मां दुर्गा का ये स्वरूप अत्यन्त ही दिव्य है। इनका रंग सोने के समान चमकीला है, तो इनकी चार भुजाओं में से ऊपरी बाएं हाथ में तलवार और नीचले बाएं हाथ में कमल का फूल है। जबकि इनका ऊपर वाला दायां हाथ अभय मुद्रा में है और नीचे का दायां हाथ वरदमुद्रा में है।

कहा जाता है कि मां कात्यायनी की उपासना से व्यक्ति को किसी प्रकार का भय या डर नहीं रहता और उसे किसी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी परेशानी का सामना भी नहीं करना पड़ता और सबसे बड़ी बात, देवी मां की उपासना उन लोगों के लिए बेहद ही लाभकारी है, जो बहुत समय से अपने लिए या अपने बच्चों के लिए शादी का रिश्ता ढूंढ रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई अच्छा रिश्ता नहीं मिल पा रहा है। लिहाजा अगर आप भी इस तरह की समस्याओं से परेशान हैं, तो इस दिन मां कात्यायनी की उपासना करके आपको लाभ जरूर उठाना चाहिए।

मां कात्यायनी को लगाएं ये भोग
शास्त्रों के अनुसार नवरात्र के छठे दिन देवी के पूजन में शहद का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन प्रसाद में शहद का इस्तेमाल करना चाहिए।

मां कात्यायनी की पूजा विधि
इस दिन सबसे पहले मां कत्यायनी की तस्वीर को लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। इसके बाद उस चौकी में श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका(सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें। फिर वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें।

इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अ‌र्ध्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें। इसके बाद हाथों में लाल फूल लेकर मां की उपासना इस मंत्र के साथ करें।

चंद्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनि।।

इसके बाद मां को हाथ जोड़कर फूल अर्पित करें तथा मां का षोचशोपचार से पूजन करें और नैवेद्य चढ़ाए और 108 बार इस मंत्र का जाप करें। ऊं ऐं हीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।

इन मंत्रों का करें जाप
पूजा के दौरान माता के इस मन्त्र का जप करें। मन्त्र है- सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते।
अगर आपकी कन्या के विवाह में किसी प्रकार की परेशानी आ रही है तो इस दिन मां कात्यायनी के इस मंत्र का जप करें। मंत्र है- ऊँ क्लीं कात्यायनी महामाया महायोगिन्य घीश्वरी, नन्द गोप सुतं देवि पतिं मे कुरुते नमः।। इस मंत्र का 11 बार जाप करने से आपकी कन्या के विवाह में आ रही परेशानी जल्द ही दूर होगी।
अगर आपको अपने लिए एक सुन्दर पत्नी की तलाश है तो आज आप इस मंत्र का जाप करें। मंत्र है- ‘पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्त अनुसारिणीम्। तारिणीं दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम्।।” इस मंत्र का 11 बार जाप करने से आपकी सुन्दर पत्नी की तलाश जल्द ही पूरी होगी।

मां कात्यायनी की आरती
जय-जय अम्बे जय कात्यायनी,
जय जगमाता जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा,
वहा वरदाती नाम पुकारा।
कई नाम है कई धाम है,
यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी,
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी।
हर जगह उत्सव होते रहते,
हर मंदिर में भगत हैं कहते।
कत्यानी रक्षक काया की,
ग्रंथि काटे मोह माया की।
झूठे मोह से छुडाने वाली,
अपना नाम जपाने वाली।
बृहस्पतिवार को पूजा करिए,
ध्यान कात्यायनी का धरिए।
हर संकट को दूर करेगी,
भंडारे भरपूर करेगी।
जो भी भक्त मां को पुकारे,
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी।

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