संकष्टी चतुर्थी पर इस विधि से करें भगवान गणेश की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त

संकष्टी चतुर्थी पर इस विधि से करें भगवान गणेश की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त

भगवान गणेश भक्तों की समस्याओं को कम करते हैं और बाधाओं को दूर करते हैं। हर महीने संकष्टी चतुर्थी कृष्ण पक्ष के चौथे दिन मनाई जाती है। इस बार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी 23 नवंबर को है। भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए संकष्टी चतुर्थी को सबसे शुभ दिनों …

भगवान गणेश भक्तों की समस्याओं को कम करते हैं और बाधाओं को दूर करते हैं। हर महीने संकष्टी चतुर्थी कृष्ण पक्ष के चौथे दिन मनाई जाती है। इस बार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी 23 नवंबर को है। भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए संकष्टी चतुर्थी को सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है. इस दिन भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश को सभी देवताओं में श्रेष्ठ घोषित किया था।

संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
कृष्ण पक्ष चतुर्थी आरंभ- 22 नवंबर 2021 (सोमवार) रात 10 बजकर 26 मिनट से
कृष्ण पक्ष चतुर्थी समापन- 24 नवंबर 2021 (बुधवार) रात 12 बजकर 55 मिनट तक
चंद्रोदय का समय- 23 नवंबर (मंगलवार) रात 8 बजकर 27 मिनट पर

संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा
एक बार मां पार्वती स्नान के लिए गईं तो उन्होंने द्वार पर भगवान गणेश को खड़ा कर दिया और कहा कोई अंदर न आ पाए। लेकिन तभी कुछ देर बाद भगवान शिव वहां पहुंच गए तो गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने त्रिशूल से गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। पुत्र गणेश का यह हाल देखकर मां पार्वती बहुत दु,खी हुईं और शिव जी से अपने पुत्र को जीवित करने का हठ करने लगीं।

जब मां पार्वती ने शिव से बहुत अनुरोध किया तो भगवान गणेश को हाथी का सिर लगाकर दूसरा जीवन दिया गया। तब से उनका नाम गजमुख , गजानन हुआ। इसी दिन से भगवान गणपति को प्रथम पूज्य होने का गौरव भी हासिल हुआ और उन्हें वरदान मिला कि जो भी भक्त या देवता आपकी पूजा व व्रत करेगा उनके सारे संकटों का हरण होगा और मनोकामना पूरी होगी।

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर गणेश जी को जल चढ़ाकर उनकी पूजा करें। दिन भर के व्रत का संकल्प लें। शाम के समय दूर्वा घास, फूल, अगरबत्ती और दीया से भगवान गणेश की पूजा करें। गणेश मंत्रों का जाप करें। गणपति बप्पा को मोदक और लड्डू का भोग लगाएं जो उन्हें सबसे ज्यादा पसंद हैं। चांद निकलने से पहले गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ किया जाता है। चंद्रोदय के बाद व्रत का पारण करें। चंद्रमा का दिखना बहुत ही शुभ होता है। इसलिए जब चंद्रमा दिखाई दे तो अर्घ्य दें।

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