कोविड प्रोटोकॉल के साथ इटावा में होगा विश्व प्रसिद्ध मैदानी रामलीला का आयोजन, जानें कबतक चलेगा कार्यक्रम

इटावा। जिले में इस साल विश्व प्रसिद्ध रामलीला का आयोजन किया जाएगा। यूनेस्को की ओर से मैदानी रामलीला में विश्व नंबर 1 घोषित की गई जसवंतनगर की ऐतिहासिक रामलीला का आयोजन को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों और रामलीला कमेटी के बीच मीटिंग हुई है। इसके साथ ही जसवंतनगर की इस विश्व प्रसिद्ध रामलीला में भगवान राम …

इटावा। जिले में इस साल विश्व प्रसिद्ध रामलीला का आयोजन किया जाएगा। यूनेस्को की ओर से मैदानी रामलीला में विश्व नंबर 1 घोषित की गई जसवंतनगर की ऐतिहासिक रामलीला का आयोजन को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों और रामलीला कमेटी के बीच मीटिंग हुई है। इसके साथ ही जसवंतनगर की इस विश्व प्रसिद्ध रामलीला में भगवान राम और रावण के सेना के मध्य सड़कों पर युद्ध लड़ा जाता है।

क्या है जसवंतनगर के रामलीला का इतिहास

इटावा के जसवंतनगर की विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक रामलीला सन 1860 से निरंतर अपनी पुरानी परंपराओं को लेकर चली आ रही है। जसवंत नगर की रामलीला मैदानी रामलीला के नाम से मशहूर है। वहीं, रामलीला के दौरान पूरा जसवंतनगर राममय हो जाता है। इस ऐतिहासिक रामलीला की शुरुआत 1860 मैं जसवंत नगर के जमीदार शैलेंद्र प्रसाद रईस ने की थी। रामलीला मैदान में पंचवटी के साथ ही लंका अलग-अलग बनी हुई है। इसके अलावा सड़कों के साथ ही नरसिंह मंदिर से लेकर रामलीला के मैदान तक लगभग 3 किलोमीटर सड़कों पर युद्ध लड़ाई जाता है।

बता दें कि रामलीला के दिनों में हजारों की संख्या में लोग इस ऐतिहासिक रामलीला को देखने आते हैं। दक्षिण भारत और उत्तर भारत की मिली जुली संस्कृति को जीवित रखते हुए यह रामलीला होती है। जिसमें राम और रावण दोनों ही सेनाओं के लोग बड़े-बड़े मुखोटे का प्रयोग करते हैं। दक्षिण भारत की तरह ही यहां भी मुखोटे पर त्रिकुंड लगता है। पंचवटी पर चढ़ाई करने से पहले रावण की दक्षिण भारत की तरह यहां भी पूजा की जाती है और उसकी वजह यह है कि रावण विद्वान ब्राह्मण था। इसीलिए रावण की जसवंतनगर में भी पूजा की जाती है।

विश्व नंबर 1 मैदानी रामलीला का मिल चुका है दर्जा

2005 से पहले मॉरीशस व त्रिनिदाद और टोबैगो से कई शोधकर्ता जसवंत नगर में रामलीला की शोध करने आए और इन्हीं शोधकर्ताओं की रिपोर्ट के अनुसार यूनेस्को ने जसवंत नगर की मैदानी रामलीला को विश्व में नंबर एक का दर्जा दिया। पिछले साल कोविड के चलते यह ऐतिहासिक रामलीला नहीं हो सकी थी और इस वर्ष भी रामलीला कमेटी के विशेष आग्रह पर शासन ने जसवंत नगर की रामलीला को कुछ शर्तों के साथ रामलीला कराने की अनुमति दी है। वहीं, 22 दिनों तक चलने वाली यह रामलीला इस साल कोविड प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए 11 दिनों में पूरी कराई जाएगी।