क्या हालात सुधरेंगे ?

क्या हालात सुधरेंगे ?

हमारे जीवन और रहने के तौर-तरीके पूरी तरह बदल गए हैं। और हम लगभग पूरी तरह तकनीक पर निर्भर हो गए हैं। कोरोना काल की विपरीत स्थितियों में भी हालात सामान्य बनाए रखने में दूरसंचार क्षेत्र का जबरदस्त योगदान रहा। इस क्षेत्र में कई संरचनात्मक और प्रक्रियात्मक सुधारों की शुरुआत हो चुकी है। भारतीयों का …

हमारे जीवन और रहने के तौर-तरीके पूरी तरह बदल गए हैं। और हम लगभग पूरी तरह तकनीक पर निर्भर हो गए हैं। कोरोना काल की विपरीत स्थितियों में भी हालात सामान्य बनाए रखने में दूरसंचार क्षेत्र का जबरदस्त योगदान रहा। इस क्षेत्र में कई संरचनात्मक और प्रक्रियात्मक सुधारों की शुरुआत हो चुकी है।

भारतीयों का जीवन सशक्त और गतिशील बनाने के लिए 5जी तकनीक का इस्तेमाल शीघ्र ही शुरू होने जा रहा है। सोमवार को दूरसंचार राज्य मंत्री देवुसिंह चौहान ने कहा कि लंबे समय से प्रतीक्षित उच्च गति वाली 5जी सेवाएं लगभग एक महीने में शुरू हो सकती हैं। जिसका सभी क्षेत्रों के विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। एक 6जी प्रौद्योगिकी नवाचार समूह भी स्थापित किया गया है, जो स्वदेशी 6जी स्टैक के विकास की दिशा में काम कर रहा है।

दरअसल सरकार स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित उन्नत दूरसंचार प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दे रही है। इसके चलते भारत में आज एक मजबूत घरेलू 5जी मोबाइल संचार पारिस्थितिकी तंत्र है। भारतीय इंजीनियरों ने 5जी मानकों का एक सेट विकसित किया है, जिससे ग्रामीण इलाकों में 5जी नेटवर्क के प्रसार में आसानी होगी।

देश में हाल ही में 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में 1.5 लाख करोड़ रुपये की बोलियां मिलीं। यह संयोग ही है कि एक ओर 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी चल रही थी, उसी समय केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल के लिए भारी-भरकम पैकेज की घोषणा कर दी। बीएसएनएल पिछले कई वर्षों से न केवल बाजार हिस्सेदारी गंवा रही है बल्कि भारी घाटे में भी चल रही है। यदि 5जी नीलामी और बीएसएनएल के लिए सुधार पैकेज पर नजर डाली जाए तो दोनों एक साथ सह-अस्तित्व में रह सकते हैं।

ठीक वैसे ही जैसे कि इंडिया और भारत। हालांकि 5जी के जमाने में टेलीफोन के इस्तेमाल की यह स्थिति है कि कॉल का कट जाना और कमजोर सिग्नल की समस्या गांवों या देश के दूरदराज इलाकों तक सीमित नहीं है। बड़े शहरों, कॉर्पोरेट कार्यालयों और सत्ता के गलियारों में भी ऐसी दिक्कतें आती हैं।

ऐसे में सवाल है कि क्या 5 जी के आने के बाद हालात सुधरेंगे। इस सवाल का उत्तर काफी कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि दूरसंचार कंपनियां 5जी समेत नए हासिल फ्रीक्वेंसी बैंड का किस प्रकार इस्तेमाल करेंगी। 5 जी की मदद से दूरसंचार उद्योग भारत को कई तरह से वैश्विक मानचित्र पर जगह दिला सकता है। बीएसएनएल अभी भी ग्रामीण भारत की अच्छी खासी आबादी के लिए संपर्क का जरिया है। फिर भी 5जी एक ऐसी तकनीक है जिसकी मदद से ग्रामीण तथा शहरी दोनों जगहों के नागरिकों को सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।