1- टूलकिट
भारत में 75 प्रतिशत विपणन (मार्केटिंग) और रचनात्मक (क्रिएटिव) क्षेत्र के पेशेवर कृत्रिम मेधा (एआई) को अपनी ‘टूलकिट’ का एक अनिवार्य हिस्सा मानते हैं।
भारत में 75 प्रतिशत विपणन (मार्केटिंग) और रचनात्मक (क्रिएटिव) क्षेत्र के पेशेवर कृत्रिम मेधा (एआई) को अपनी ‘टूलकिट’ का एक अनिवार्य हिस्सा मानते हैं।
कैन्वा की ओर से किए गए अध्ययन में बताया गया है कि कार्यस्थल पर विपणनकर्ता रचनात्मकता और उत्पादन बढ़ाने के लिए कैसे एआई को अपना रहे हैं। अध्ययन में शामिल 10 में से सात लोगों ने कहा कि एआई से उनके दल की रचनात्मकता बेहतर हुई है।
लगभग 72 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि एआई की वजह से हर सप्ताह उनका दो से तीन घंटे का समय बच रहा है।
हमारे निष्कर्ष इस बात की पुष्टि करते हैं कि एआई-संचालित उपकरण विपणनकर्ताओं के लिए रचनात्मकता और उत्पादकता में एक नई जान डाल रहे हैं। भारत में इस क्षेत्र में एआई की स्वीकार्यता बहुत ज्यादा है।