उत्तराखंड: पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बनाई जीवाणुरोधी प्लास्टिक

उत्तराखंड: पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बनाई जीवाणुरोधी प्लास्टिक

पंतनगर। पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने जीवाणुरोधी प्लास्टिक तैयार कर नया इतिहास रचा है। इस प्लास्टिक से निर्मित सर्जिकल उपकरण, फूड प्रोसेसिंग और पैकेजिंग आदि में उपयुक्त होने वाले प्लास्टिक उपकरणों को बार-बार स्टरलाइजिंग करने की जरूरत नहीं पड़ेगी और संक्रमित होने से भी मुक्ति मिलेगी। विवि के रसायन विज्ञान विभाग के प्राध्यापक डा. एमजीएच …

पंतनगर। पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने जीवाणुरोधी प्लास्टिक तैयार कर नया इतिहास रचा है। इस प्लास्टिक से निर्मित सर्जिकल उपकरण, फूड प्रोसेसिंग और पैकेजिंग आदि में उपयुक्त होने वाले प्लास्टिक उपकरणों को बार-बार स्टरलाइजिंग करने की जरूरत नहीं पड़ेगी और संक्रमित होने से भी मुक्ति मिलेगी।

विवि के रसायन विज्ञान विभाग के प्राध्यापक डा. एमजीएच जैदी ने बताया कि इस प्लास्टिक को उन्होने 11 वर्षों की मेहनत के बाद सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग की पूर्व वैज्ञानिक डा. रीता गोयल के साथ बनाया है। उन्होंने बताया कि इस प्लास्टिक से निर्मित सर्जिकल उपकरण व फूड प्रोसेसिंग में उपयुक्त उपकरणों को संक्रमण से बचाने के लिए बार-बार स्टलाइजिंग करने की आवश्यकता नहीं होगी।

बताया कि भारत सरकार के डीबीटी के नैनो टेक्नोलाॅजी टास्क फोर्स से वर्ष 2008 में एक 36.7 लाख की परियोजना मंजूर की थी। जिसके तहत विवि के वैज्ञानिकों ने इस जीवाणुरोधक प्लास्टिक को बनाने में सफलता हासिल की है।

डा. जैदी ने बताया कि इस प्लास्टिक को पानी डालने के 72 घंटे तक जीवाणुरोधी पाया गया। बताया कि वर्ष 2013 में इसके पेटेंट के लिए लिए आवेदन किया था जो विभिन्न परीक्षणों के उपरांत वर्ष 2020 में हासिल हुआ है। साथ ही इस प्लास्टिक को बनाने की तकनीक को पेटेंट कोऑपरेशन ट्रिटी (पीसीटी) के तहत विश्व के 147 देशों में भी मान्यता मिली है। उन्होंने बताया कि इस परियोजना में हुए एमओयू के तहत बने पदार्थ पंत विवि व डीबीटी का साझाा उपक्रम होगा। साथ ही यह तकनीक उद्योगों को दी जाएगी।

जीवणुरोधी प्लास्टिक की विधि
डा. एमजीएच जैदी ने बताया कि मानवीय प्रयोग में हानिकारक न होने वाले और जैव विघटन संभव वाले प्लास्टिक का सबसे पहले चयन किया गया। उसके बाद जीवणु नाशक नैनो पार्टिकल्स को मिलाया और तरल कार्बन डाई ऑक्साइड (हरित रसायन तकनीक) द्वारा जीवाणुरोधक नैनो पार्टिकल्स को अविषाक्त प्लास्टिक पदार्थो में संयोजित कर दिया। इससे जो नैनो सबमिश्रण प्राप्त हुए, उसका उपयोग एंटी माइक्रोबियल(जीवाणुरोधी) प्लास्टिक बनाने में किया गया। विकसित नैनो सब मिश्रित प्लास्टिक विभिन्न प्रकरण के घरेलू तथा चिकित्सीय उत्पादों के निर्माण और संरक्षण में वरदान साबित होंगे।