Thomas & Uber Cup : बैडमिंटन में भारत ने रचा इतिहास, 73 साल में पहली बार थॉमस कप का खिताबी मुकाबला खेलेगी भारतीय टीम

Thomas & Uber Cup : बैडमिंटन में भारत ने रचा इतिहास, 73 साल में पहली बार थॉमस कप का खिताबी मुकाबला खेलेगी भारतीय टीम

बैंकॉक। भारतीय पुरुष बैडिमिंटन टीम ने इतिहास रच दिया है। बैंकाक में चल रही थॉमस कप प्रतियोगिता में भारतीय टीम फाइनल में पहुंच गई है। शुक्रवार को खेले गए सेमीफाइनल मुकाबले में भारत ने डेनमार्क को 3-2 से मात दी। भारतीय टीम की जीत के हीरो एचएस प्रणय रहे, जिन्होंने निर्णायक मुकाबले में रास्मस गेमको …

बैंकॉक। भारतीय पुरुष बैडिमिंटन टीम ने इतिहास रच दिया है। बैंकाक में चल रही थॉमस कप प्रतियोगिता में भारतीय टीम फाइनल में पहुंच गई है। शुक्रवार को खेले गए सेमीफाइनल मुकाबले में भारत ने डेनमार्क को 3-2 से मात दी। भारतीय टीम की जीत के हीरो एचएस प्रणय रहे, जिन्होंने निर्णायक मुकाबले में रास्मस गेमको को मात दी। बता दें कि थॉमस कप का आयोजन 1949 से हो रहा है। यानी 73 साल में पहली बार भारतीय टीम खिताबी मुकाबला खेलेगी।

दुनिया के 13वें नंबर के खिलाड़ी गेमके के खिलाफ प्रणय कोर्ट पर फिसलने के कारण चोटिल भी हो गए थे। लेकिन, भारतीय खिलाड़ी ने ‘मेडिकल टाइमआउट’ लेने के बाद मुकाबला जारी रखा। प्रणय कोर्ट पर दर्द में दिख रहे थे, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने 13-21 21-9 21-12 से जीत दर्ज कर भारत का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करा दिया।

पहली बार फाइनल में पहुंची टीम इंडिया
भारतीय टीम 1979 के बाद से कभी भी सेमीफाइनल से आगे नहीं बढ़ सकी थी, लेकिन अबकी बार वह फाइनल में पहुंच चुकी है। भारतीय टीम ने गुरुवार को पांच बार की चैम्पियन मलेशिया को 3-2 से हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई है।

 

रविवार को इंडोनेशिया के खिलाफ इतिहास रचने उतरेगा भारत
आत्मविश्वास से भरा भारत रविवार को यहां थॉमस कप बैडमिंटन टूर्नामेंट के फाइनल में 14 बार के चैंपियन इंडोनेशिया के खिलाफ एक बार फिर इतिहास रचने के इरादे से उतरेगा। गत चैंपियन इंडोनेशिया का इस टूर्नामेंट में रिकॉर्ड शानदार रहा है और टीम मौजूदा टूर्नामेंट में अब तक अजेय रही है। भारतीय पुरुष टीम ने हालांकि मलेशिया और डेनमार्क जैसी टीम को हराकर पहली बार फाइनल में जगह बनाई है और दिखाया है कि वे किसी भी टीम को हराने की क्षमता रखते हैं। भारत के लिए यह एतिहासिक लम्हा है। अपने से बेहतर रैंकिंग वाली टीम के खिलाफ भारतीय खिलाड़ियों में आत्मविश्वास की कोई कमी नहीं दिखी और पिछले दो मैच में पिछड़ने के बावजूद टीम ने मानसिक मजबूती दिखाते हुए जीत दर्ज की।

 

पहले मैच में हारे थे लक्ष्य सेन
सेमीफाइनल का पहले मैच में भारत की ओर से लक्ष्य सेन उतरे थे। उन्हें विक्टर एक्सेलसन के खिलाफ 13-21, 13-21 से हार झेलनी पड़ी। यह मैच 49 मिनट तक चला।

सात्विक-चिराग की जोड़ी ने कराई वापसी
दूसरा मुकाबला डबल्स का था। इसमें सात्विक साईराज रेड्डी और चिराग शेट्टी की जोड़ी ने किम आस्त्रुप और मथियास क्रिस्टिएंसन को 1 घंटा, 18 मिनट में 21-18 21-23 22-20 से हरा दिया। तीसरा मुकाबला सिंगल्स का था। इसमें किदांबी श्रीकांत ने आंद्रेस एंटोनसन को 21-18 12-21 21-15 से हरा दिया।

प्रणय ने फाइनल में पहुंचाया
हालांकि, चौथे मैच में भारत को हार मिली। कृष्णा प्रसाद गर्ग और विष्णुवर्धन गौड़ की जोड़ी को आंद्रेस स्कारुप और फ्रेडरिक सोगार्ड की जोड़ी ने 14-21 13-21 से हरा दिया। इसके बाद आखिरी मैच में प्रणय ने जीत हासिल कर भारत को पहली बार फाइनल में पहुंचा दिया।

टखने में चोट के बावजूद मैं हार नहीं मानने को लेकर प्रतिबद्ध था : प्रणय
टखने में चोट के बाद भी अपने करियर की सबसे यादगार जीत में से एक दर्ज करने के बाद भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी एचएस प्रणय ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में हार न मानने की मानसिकता ने उन्हें थॉमस कप सेमीफाइनल में डेनमार्क पर शानदार जीत के दौरान प्रेरित किया। प्रणय ने निर्णायक एकल मैच में शानदार प्रदर्शन किया जिससे भारतीय पुरुष टीम ने शुक्रवार को यहां डेनमार्क पर 3-2 से जीत के साथ इतिहास रच दिया। भारतीय टीम पहली बार थॉमस कप के फाइनल में पहुंचने में सफल रही। दुनिया के 13वें नंबर के खिलाड़ी रास्मस गेमके के खिलाफ प्रणय को कोर्ट पर फिसलने के कारण टखने में चोट भी लगी लेकिन इस भारतीय ने ‘मेडिकल टाइमआउट’ लेने के बाद मुकाबला जारी रखा। वह कोर्ट पर दर्द में दिख रहे थे लेकिन इस परेशानी के बावजूद उन्होंने 13-21 21-9 21-12 से जीत दर्ज कर भारत का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करा दिया।

मैं प्रार्थना कर रहा था कि दर्द न बढ़े
प्रणय ने मुकाबले के बाद कहा, ‘‘ मानसिक रूप से मेरे दिमाग में बहुत सी बातें चल रही थीं। फिसलने के बाद मुझे सामान्य से अधिक दर्द महसूस हो रहा था और मैं ठीक से चल भी नहीं कर पा रहा था। मैं सोच रहा था कि ऐसी स्थिति में क्या करना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मेरे दिमाग में हार नहीं मानने की बात चल रही थी, मैं बस कोशिश करके देखना चाहता था कि चीजें कैसी चल रही है। मैं प्रार्थना कर रहा था कि दर्द न बढ़े। मेरा दर्द दूसरे गेम के दौरान कम होने लगा था और तीसरे गेम के दौरान मैं काफी बेहतर महसूस कर रहा था।’’ भारतीय टीम 1979 के बाद से कभी भी सेमीफाइनल से आगे नहीं बढ़ सकी थी। लेकिन उसने जुझारू जज्बा दिखाते हुए 2016 के चैम्पियन डेनमार्क को हरा दिया।

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