संविधान का पुनरावलोकन होना चाहिए : अच्युतानंद मिश्र

संविधान का पुनरावलोकन होना चाहिए : अच्युतानंद मिश्र

लखनऊ। संस्कृति से ही समाज सुधरेगा। राजनीति समाज को बांटती है जबकि संस्कृति समाज को सहेजती है। वर्तमान पीढ़ी को संविधान, इतिहास परम्परा, संस्कृति व संस्कारों से परिचित कराना ही स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव का उद्देश्य है। यह बातें वरिष्ठ पत्रकार व माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अच्युतानन्द मिश्र ने कही। वह रविवार …

लखनऊ। संस्कृति से ही समाज सुधरेगा। राजनीति समाज को बांटती है जबकि संस्कृति समाज को सहेजती है। वर्तमान पीढ़ी को संविधान, इतिहास परम्परा, संस्कृति व संस्कारों से परिचित कराना ही स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव का उद्देश्य है। यह बातें वरिष्ठ पत्रकार व माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अच्युतानन्द मिश्र ने कही। वह रविवार को गन्ना शोध संस्थान के सभागार में अमृत महोत्सव समिति द्वारा ‘स्वतंत्रता का अमृत तत्व’ विषय पर आयोजित गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि जिस संविधान के आधार पर हमारे देश की शिक्षा नीति, प्रशासन व न्याय व्यवस्था चल रही है उसका पुनरावलोकन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि संविधान वास्तव में हमारा नहीं है। हिन्दी राजभाषा के रूप में स्वीकार की गयी लेकिन आज भी न्यायालयों की भाषा अंग्रेजी बनी हुई है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आर्यावर्त बैंक के अध्यक्ष एसबी सिंह ने कहा कि आज भी बहुत सारे कानून 1947 के पहले के बने हैं उनमें संशोधन होना चाहिए। अगर हमारा संविधान हमारे देश के शासन व अनुशासन के अनुकूल नहीं है तो सुधार किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अवध प्रान्त के सह प्रान्त बौद्धिक प्रमुख मनोज कांत ने कहा कि भारत का स्वतंत्रता आन्दोलन स्व से प्रेरित था। भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में स्वराज, स्वधर्म, स्वदेशी व स्वभाषा की बात थी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. अश्वनी दत्त पाठक ने की। कार्यक्रम का संचालन भाग सम्पर्क प्रमुख कमलेश सिंह ने किया। इस मौके पर लखनऊ दक्षिण भाग के भाग संघ चालक सुभाष अग्रवाल, सह विभाग कार्यवाह बृजेश पांडेय, सह भाग कार्यवाह अतुल सिंह, बाल आयोग के सदस्य श्याम त्रिपाठी, डा. शुचिता, भाटिया, सुशील जैन प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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