कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी

भारतीय अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण स्तंभों में कृषि भी है। देश की 54 प्रतिशत आबादी सीधे कृषि पर निर्भर है और देश के सकल घरेलू उत्पाद में इसका हिस्सा करीब 20 प्रतिशत है। कृषि प्रौद्योगिकी से जुड़े स्टार्टअप देश की अर्थव्यवस्था के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस्राइल, चीन और अमेरिका जैसे देशों ने नई प्रौद्योगिकी …

भारतीय अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण स्तंभों में कृषि भी है। देश की 54 प्रतिशत आबादी सीधे कृषि पर निर्भर है और देश के सकल घरेलू उत्पाद में इसका हिस्सा करीब 20 प्रतिशत है। कृषि प्रौद्योगिकी से जुड़े स्टार्टअप देश की अर्थव्यवस्था के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस्राइल, चीन और अमेरिका जैसे देशों ने नई प्रौद्योगिकी की मदद से खेती के तरीकों में बड़ा परिवर्तन किया है।

वर्तमान समय में कृषि की स्टार्टअप का व्यापारिक मूल्य तकरीबन 75 से 80 हजार करोड़ रुपये है। भारत में बहुत से कृषि तकनीकी स्टार्टअप मुख्य रूप से बाजार आधारित हैं, जहां ई-कॉमर्स कंपनियां ताजे ऑर्गेनिक फल और सब्जियां सीधे किसानों से खरीद कर बिक्री करती हैं। लेकिन, हाल में बहुत से स्टार्टअप ने किसानों की कठिनाइयों के अभिनव और टिकाऊ समाधान प्रदान करने शुरू किए हैं स्टार्टअप अब बायोगैस संयंत्र, सौर ऊर्जा चालित प्रशीतन गृह, बाड़ लगाने और पानी पंप करने, मौसम पूर्वानुमान, छिड़काव करने वाली मशीन, बुआई की मशीन और वर्टिकल फार्मिंग जैसे समाधानों से को आय बढ़ाने में किसानों की मदद कर रहे हैं। पहले ज्यादातर वित्तीय संस्थान कृषि संबंधित उद्योगों में निवेश करने से हिचकिचाते थे लेकिन वित्तीय संस्थानों ने अब बंदिशें तोड़कर कृषि स्टार्टअप को ऋण मुहैया कराना शुरू कर दिया।

भारतीय रिजर्व बैंक ने वाणिज्यिक बैंकों को कृषि स्टार्टअप को 50 करोड़ रुपये तक का ऋण प्राथमिकता के आधार पर मुहैया कराने का स्वागत योग्य आदेश जारी किया। इससे इन उद्यमों के लिए कोष की उपलब्धता बढ़ी। देखा जा रहा है कि युवा उद्यमी अब आईटी सेक्टर और बहुराष्ट्रीय कंपनियों की नौकरियां छोड़कर अपने स्टार्टअप स्थापित कर रहे हैं। अब ये उद्यमी अनुभव कर रहे हैं कि कृषि में निवेश सुरक्षित और लाभकारी व्यापारों में से एक है।

दुर्भाग्य से कृषि स्टार्टअप और खेती व ग्रामीण क्षेत्र में उनका योगदान लिए जाने को लेकर सभी राज्यों में एक जैसा जोश नहीं है। राज्यों में कृषि स्टार्टअप को लेकर नीतियां भी अलग-अलग हैं। इससे देश में इन उद्यमों का एकसमान विकास नहीं हो पाया है। आमतौर पर कृषि स्टार्टअप  हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और महाराष्ट्र में ज्यादा सफल हुई हैं।

लिहाजा अन्य राज्यों की सरकारों के लिए समय आ गया है कि वे खेती में विविधता के लिए कृषि स्टार्टअप को कार्य करने की बेहतरीन सुविधा मुहैया कराएं। इंटरनेट एवं स्मार्टफोन उपयोग में वृद्धि के साथ-साथ स्टार्टअप के उभरने और सरकार की विभिन्न पहलों की वजह से कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी अपनाने की गति तेज होगी। स्टार्टअप में इतनी सामर्थ्य है कि वे भारतीय कृषि क्षेत्र के परिदृश्य को बदल सकते हैं और अंततः किसानों की आय में वृद्धि कर सकते हैं।