Saadat Hasan Manto
साहित्य 

आख़िरी सल्यूट…

आख़िरी सल्यूट… हिन्दुस्तान की आज़ादी के बाद कश्मीर के लिए दोनों मुल्कों में होने वाली पहली जंग के दृश्यों को प्रस्तुत किया गया है कि किस तरह दोनों देश की सेना भावनात्मक रूप से एक दूसरे के अनुरूप हैं लेकिन अपने-अपने देश के संविधान और क़ानून के पाबंद होने की वजह से एक दूसरे पर हमला करने …
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बू…

बू… बरसात के यही दिन थे. खिड़की के बाहर पीपल के पत्ते इसी तरह नहा रहे थे. सागौन के स्प्रिन्गदार पलंग पर, जो अब खिड़की के पास थोड़ा इधर सरका दिया गया, एक घाटन लड़की रणधीर के साथ लिपटी हुई थी। खिड़की के पास बाहर पीपल के पत्ते रात के दुधिया अंधेरे में झुमरों की तरह …
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शिकारी औरतें…

शिकारी औरतें… मैं आज आप को चंद शिकारी औरतों के क़िस्से सुनाऊंगा। मेरा ख़याल है कि आपको भी कभी उनसे वास्ता पड़ा होगा। मैं बंबई में था। फ़िल्मिस्तान से आमतौर पर बर्क़ी ट्रेन से छः बजे घर पहुंच जाया करता था। लेकिन उस रोज़ मुझे देर हो गई। इसलिए कि शिकारी की कहानी पर बहस ओ मुबाहिसा …
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जन्मदिन विशेष: क्रांतिकारी दिमाग और अतिसंवेदनशील हृदय ने उन्हें मंटो बना दिया

जन्मदिन विशेष: क्रांतिकारी दिमाग और अतिसंवेदनशील हृदय ने उन्हें मंटो बना दिया सआदत हसन मंटो (जन्म- 11 मई, 1912, समराला, पंजाब; मृत्यु- 18 जनवरी, 1955, लाहौर) कहानीकार और लेखक। मंटो ने फ़िल्म और रेडियो पटकथा लेखन भी किया और पत्रकारिता भी की। सआदत हसन मंटो की गिनती ऐसे साहित्यकारों में की जाती है जिनकी कलम ने अपने वक़्त से आगे की ऐसी रचनाएं लिख डालीं जिनकी गहराई …
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