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मुग़लों के समय में ऐसे मनाई जाती थी दिवाली

‘जश्न-ए-चराग़ा’ यानी ‘दिवाली’ अक़बर से लेकर आखरी बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र तक सभी मुग़ल बादशाह दीवाली बड़े धूम धाम से मनाते थे। शाहजहां के दौर में रानियां, शहजादियां, शहजादे कुतुब मीनार से दिवाली की आतिशबाजी देखते थे। इंग्लेंड के यात्री एन्ड्रयू 1904 में दिल्ली आए और मुंशी ज़काउल्लाह से मिले। ज़काउल्लाह ने लाल किले के …
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