Kahani
साहित्य 

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे शाम हुए ख़ुश-बाश यहाँ के मेरे पास आ जाते हैं मेरे बुझने का नज़्ज़ारा करने आ जाते होंगे वो जो न आने वाला है ना उस से मुझ को मतलब था आने वालों से क्या मतलब आते …
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साहित्य 

ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया

ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती है आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया कभी तक़दीर का मातम कभी दुनिया का गिला मंज़िल-ए-इश्क़ में हर गाम पे रोना आया मुझ पे ही ख़त्म हुआ सिलसिला-ए-नौहागरी इस …
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