तुज़ुक-ए-बाबरी

बाबर के युद्ध

बाबर ने तुज़ुक-ए-बाबरी में अपने हालात लिखते हुए भाषा की उस कठिनाई के बारे में लिखा है, जिससे हिंदुस्तान जैसे नए देश में दो-चार होना पड़ा. वह लिखते हैं न हम यहां की बोली बोल सकते हैं और न यहां वाले हमारी भाषा जानते हैं. इसी तरह एक अन्य जगह उन्होंने लिखा है, ‘हमारे आदमियों …
इतिहास