फागुन
साहित्य 

पहले- पहले प्यार में: मतवाला मन भीग रहा है बूंदों के त्यौहार में…

पहले- पहले प्यार में: मतवाला मन भीग रहा है बूंदों के त्यौहार में… आँखों में फागुन की मस्ती होठों पर वासंती हलचल मतवाला मन भीग रहा है बूंदों के त्यौहार में शायद ऐसा ही होता है पहले- पहले प्यार में पैरों की पायल छनकी कंगन खनका हर आहट पर चौंक–चौंक जाना मन का साँसों का देहरी छू-छूकर आ जाना दर्पण का खुद दर्पण से ही शरमाना और धड़कना …
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