Sri Lanka Crisis : पीएम बनने के बाद विक्रमसिंघे बोले- राष्ट्रपति के खिलाफ आंदोलन जारी रहना चाहिए, मैं इसे नहीं रोकूंगा

Sri Lanka Crisis : पीएम बनने के बाद विक्रमसिंघे बोले- राष्ट्रपति के खिलाफ आंदोलन जारी रहना चाहिए, मैं इसे नहीं रोकूंगा

कोलंबो।  श्रीलंका में भारी राजनीतिक उथल पुथल के बीच रानिल विक्रमसिंघे ​​​​गुरुवार की शाम नए प्रधानमंत्री बन गए। प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘Gota Go Gama’ के खिलाफ आंदोलन जारी रहना चाहिए। मैं और पुलिस इस आंदोलन को रोकने के लिए कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे।’ उन्होंने बताया …

कोलंबो।  श्रीलंका में भारी राजनीतिक उथल पुथल के बीच रानिल विक्रमसिंघे ​​​​गुरुवार की शाम नए प्रधानमंत्री बन गए। प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘Gota Go Gama’ के खिलाफ आंदोलन जारी रहना चाहिए। मैं और पुलिस इस आंदोलन को रोकने के लिए कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे।’ उन्होंने बताया कि नए मंत्रिमंडल गठन पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है।

श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ इस नारे का इस्तेमाल किया जाता है। सिंहली भाषा में गामा का मलतब गांव होता है। प्रदर्शनकारी एक जगह जमा होकर तंबू लगाते हैं और गाड़ियों के हार्न बजाते हुए राष्ट्रपति और सरकार के खिलाफ गोटा-गो-गामा का नारा बुलंद करते हैं।

पीएम मोदी का आभार व्यक्त करना चाहता हूं
श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि वह अपने कार्यकाल के दौरान भारत के साथ करीबी संबंध बनाने को लेकर आशान्वित हैं। उन्होंने श्रीलंका की भारत द्वारा की गई आर्थिक सहायता का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मैं करीबी संबंध चाहता हूं और मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करना चाहता हूं।’’

चार बार प्रधानमंत्री रह चुके
श्रीलंका के चार बार प्रधानमंत्री रह चुके विक्रमसिंघे को अक्टूबर 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने प्रधानमंत्री पद से हटा दिया था। हालांकि दो महीने बाद ही सिरीसेना ने उन्हें इस पद पर बहाल कर दिया था।

भीड़ ने की थी सांसद की हत्या
तीन दिन पहले हिंसक झड़प में श्रीलंकाई सांसद अमरकीर्ति अथुकोरला की मौत हो गई थी। जिसके बाद आशंका जताई गई थी कि उन्होंने सुसाइड कर लिया है। हालांकि, अब पुलिस ने साफ कर दिया है कि अमरकीर्ति की हत्या की गई थी। भीड़ ने उन्हें पीट-पीट कर मार डाला था।

देश में कोई कानून-व्यवस्था नहीं है- नामल राजपक्षे
पूर्व प्रधानंत्री महिंदा राजपक्षे के बेटे और पूर्व कैबिनेट मंत्री नामल राजपक्षे ने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों की ओर से उकसावे की कार्रवाई की गई। फिलहाल देश में कोई कानून-व्यवस्था नहीं है। दूसरी तरफ, एक अहम पॉलिटिकल डेपलपमेंट के तहत पूर्व PM महिंदा राजपक्षे और उनके आठ करीबी सहयोगियों के देश छोड़ने पर एक अदालत ने रोक लगा दी है।

पहली बार 1977 में चुने गये थे सांसद 
श्रीलंका को अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद 1949 में जन्मे विक्रमसिंघे 1977 में 28 साल की उम्र में संसद के लिए चुने गए थे। वह विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) की यूथ लीग में शामिल हो गए थे। उस समय श्रीलंका में सबसे कम उम्र के मंत्री के रूप में, उन्होंने राष्ट्रपति जयवर्धने के अधीन उप विदेश मंत्री का पद संभाला था।

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