नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य में सोलर मिशन ने लगाया ग्रहण

नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य में सोलर मिशन ने लगाया ग्रहण

संजय सिंह, अमृत विचार, नई दिल्ली। सौर ऊर्जा परियोजनाओं की वर्तमान रफ्तार से सरकार राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन के तहत निर्धारित 100 गीगावॉट क्षमता का लक्ष्य पूरा नहीं कर पाएगी। यदि ऐसा हुआ तो 2022 तक 175 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का उसका मंसूबा भी अधूरा रह जाएगा। सरकार ने वर्ष 2030 तक …

संजय सिंह, अमृत विचार, नई दिल्ली। सौर ऊर्जा परियोजनाओं की वर्तमान रफ्तार से सरकार राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन के तहत निर्धारित 100 गीगावॉट क्षमता का लक्ष्य पूरा नहीं कर पाएगी। यदि ऐसा हुआ तो 2022 तक 175 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का उसका मंसूबा भी अधूरा रह जाएगा।

सरकार ने वर्ष 2030 तक भारत की कुल स्थापित विद्युत क्षमता में 40 फीसद क्षमता नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त करने की शपथ ली थी। इसके तहत 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा की 175 गीगावाट (1.75 लाख मेगावाट) क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया था। इसमें सबसे ज्यादा 100 गीगावॉट की हिस्सेदारी सौर ऊर्जा से, जबकि बाकी पवन ऊर्जा (60 गीगावॉट), बायोमास ऊर्जा (10 गीगावॉट) एवं लघु पनबिजली ऊर्जा (5गीगावॉट) से प्राप्त करने का लक्ष्य तय किया गया था।

परंतु 1 जनवरी, 2021 तक कुल मिलाकर केवल 92.54 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित हो सकी है। जिसमें सौर ऊर्जा का हिस्सा 38.79 गीगावॉट, पवन ऊर्जा का 38.68 गीगावॉट, बायोमास का 10.31 गीगावॉट तथा लघु पनबिजली परियोजनाओं का 4.76 गीगावॉट है।

इस तरह नवीकरणीय ऊर्जा का केवल 50 फीसद से कुछ ज्यादा लक्ष्य हासिल किया जा सका है। हालांकि सरकार का कहना है कि 49.30 गीगावॉट की अतिरिक्त क्षमता पर काम चल रहा है। जबकि 27.57 गीगावॉट के टेंडर जारी किए जा चुके हैं। नवीकरणीय ऊर्जा मिशन की सबसे कमजोर कड़ी सौर ऊर्जा है। इस मिशन को 2010 में पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने प्रारंभ किया था। तब उसने 2022 तक 20 गीगावॉट (20,000 मेगावॉट) की सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा था। लेकिन मोदी सरकार ने 2015 में इस लक्ष्य को पांच गुना बढ़ाकर 100 गीगावॉट (100,000 मेगावॉट) कर दिया।

साथ ही इस महत्वकांक्षी लक्ष्य की पूर्ति के लिए मिशन में कई नई स्कीमों को जोड़ दिया। उदाहरण के लिए इसमें निजी क्षेत्र द्वारा सोलर पार्क तथा अल्ट्रा मेगा सोलर पार्कों की स्थापना के अलावा सरकारी संगठनों एवं पीएसयू द्वारा ग्रिड कनेक्टेड फोटोवोल्टेइक ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना की स्कीमें शामिल की गई हैं। साथ ही पूर्वोत्तर राज्यों में पीवी प्रोजेक्ट्स लगाने के लिए एसईसीआइ को अलग से जिम्मेदारी दी गई है। यही नहीं, लोगों को घरों, दफ्तरों व फैक्ट्रियों की छत पर रूफटॉप सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन की योजना भी चालू की गई है।

इसके अतिरिक्त कम जोत वाले खेतों में लघु सोलर प्लांट लगाने के लिए प्रधानमंत्री-किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान को सोलर मिशन का हिस्सा बनाया भी गया है। इतना ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का सहयोग लेने के मकसद से सरकार ने विकसित देशों के साथ सोलर अलायंस भी बनाया है।

परंतु इस सबके बावजूद 2022 तक 100 गीगावॉट सौर ऊर्जा क्षमता के लक्ष्य में से मात्र 38.79 गीगावॉट क्षमता हासिल हो पाई है जो एक तिहाई से कुछ ही ज्यादा है। जबकि लगभग दो तिहाई लक्ष्य (82.46 गीगावॉट क्षमता) पूरा किया जाना शेष है। एक साल में इसका पूरा होना किसी भी तरह से संभव नहीं लगता।

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