सीतापुर: मौसम का बदला मिजाज, पांच साल तक के बच्चों का रखें खास ख्याल

सीतापुर: मौसम का बदला मिजाज, पांच साल तक के बच्चों का रखें खास ख्याल

सीतापुर। दिसंबर माह की शुरूआत होते ही मौसम के मिजाज में ठंड का अहसास तेजी से होने लगा है। मौसम का यह बदला मिजाज बुजुर्गों और बच्चों के लिए न्यूमोनिया की दस्तक भी है। ठंड बढ़ने के साथ ही निमोनिया एवं अन्य सर्दीजनित बीमारियां भी पांव पसारने लगती हैं। निमोनिया एक गंभीर बीमारी है, जो …

सीतापुर। दिसंबर माह की शुरूआत होते ही मौसम के मिजाज में ठंड का अहसास तेजी से होने लगा है। मौसम का यह बदला मिजाज बुजुर्गों और बच्चों के लिए न्यूमोनिया की दस्तक भी है। ठंड बढ़ने के साथ ही निमोनिया एवं अन्य सर्दीजनित बीमारियां भी पांव पसारने लगती हैं। निमोनिया एक गंभीर बीमारी है, जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। हालांकि यह सबसे ज्यादा पांच साल तक के बच्चों में पाई जाती है। कई बार निमोनिया बच्चों की मृत्यु का कारण भी बन जाता है। पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु का प्रमुख कारण यह निमोनिया ही है।

जिला महिला चिकित्सालय के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जीतेंद्र कुमार बताते हैं कि निमोनिया फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है, जो बैक्टीरिया, वायरस एवं फंगस आदि के कारण होता है। इससे फेफड़ों की वायु कोष्ठिका में सूजन हो जाती है, या उसमें तरल पदार्थ भर जाता है। कई बार निमोनिया गंभीर रूप धारण कर लेता है। निमोनिया के लक्षण सर्दी जुकाम के लक्षणों से बहुत हद तक मिलते हैं। इसलिए जब भी ऐसा लगे तो पहले इसके लक्षणों को पहचान लेना बहुत जरूरी है। नवजात शिशुओं के कोई विशेष लक्षण दिखाई नहीं देते, लेकिन यदि नवजात शिशु देखने में बीमार लगे, वह दूध न पिये, रोये या बुखार हो तो उन्हें निमोनिया हो सकता है।

इसके लिए तुरंत डॉक्टर से इलाज करवाना अत्यंत आवश्यक है। जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसते व छीकते हैं तो इसका वायरस व बैक्टीरिया सांस द्वारा फेफड़ों तक पहुंच कर व्यक्ति को संक्रमित कर देता है। निमोनिया का अटैक बच्चों पर ज्यादा होता है। खासतोर पर पांच साल से कम उम्र के ज्यादातर बच्चों में निमोनिया होने पर उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है।

दूध पीने में भी दिक्कत होती है। जिला महिला चिकित्सालय के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. एसके वर्मा का कहना है कि निमोनिया से बचाव के लिए छोटे बच्चों को संक्रमित व्यक्ति से दूर रखना चाहिए। पांच साल से कम उम्र के ज्यादातर बच्चों में निमोनिया होने पर उन्हें सांस लेने तथा दूध पीने में भी दिक्कत होती है और वह सुस्त हो जाता है। बच्चे को मां का पहला गाढ़ा दूध जिसे कोलेस्ट्रम कहते है उसे अवश्य पिलाना चाहिए।

ये हैं प्रमुख लक्षण

चिकित्सकों के मुताबिक तेज सांस लेना, कफ की आवाज आना आदि भी निमोनिया का संकेत हो सकते हैं। सामान्य से अधिक तेज़ सांस या सांस लेने में परेशानी, सांस लेते या खांसते समय छाती में दर्द, खांसी के साथ पीले, हरे या जंग के रंग का बलगम, बुखार, कंपकंपी या ठंड लगना, पसीना आना, होंठ या नाखून नीले होना, उल्टी होना, पेट या सीने के निचले हिस्से में दर्द होना, कंपकंपी, शरीर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द भी निमोनिया के लक्षण हैं।

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