रामपुर : कौतूहल बने डाउन सिंड्रोम के शिकार तीन भाई-बहन, सरकारी योजनाओं का नहीं मिला लाभ

रामपुर : कौतूहल बने डाउन सिंड्रोम के शिकार तीन भाई-बहन, सरकारी योजनाओं का नहीं मिला लाभ

अखिलेश शर्म/अमृत विचार। सैदनगर ब्लाक के गांव खेड़ा झुड़क झुंडी में एक परिवार की गरीबी उसके तीन मासूम बच्चों पर भारी पड़ गई। जन्मजात डाउन सिंड्रोम के शिकार यह बच्चे अपने चेहरे और अपनी बीमारी के चलते कौतूहल बने हुए हैं। एक बच्चे की हालत ज्यादा खराब है। घर वालों के पास इतना पैसा था …

अखिलेश शर्म/अमृत विचार। सैदनगर ब्लाक के गांव खेड़ा झुड़क झुंडी में एक परिवार की गरीबी उसके तीन मासूम बच्चों पर भारी पड़ गई। जन्मजात डाउन सिंड्रोम के शिकार यह बच्चे अपने चेहरे और अपनी बीमारी के चलते कौतूहल बने हुए हैं। एक बच्चे की हालत ज्यादा खराब है। घर वालों के पास इतना पैसा था नहीं कि बच्चों का इलाज करा सकें, लेकिन हमारा सरकारी स्वास्थ्य और महिला एवं बाल विकास विभाग का सिस्टम ऐसा नहीं था कि तमाम अभियानों में खोजे गए ऐसे बच्चों को सामने लेकर आ पाता, ताकि उन्हें इलाज मिल जाता और यह भी अपना भविष्य गढ़ सकते। मुफलिसी में जी रहे परिवार के लिए बच्चों के भविष्य की चिंता सता रही है।

गांव खेड़ा झुड़क झुंडी की रहने वाले दंपति महमूद और सुहाबरीन के पांच संतानें हैं। इनमें दो लड़के और तीन बेटिंयां हैं। सबसे बड़ी बेटी महरीन (13) दूसरे नंबर का बेटा अशद (11) और चौथे नंबर की बेटी उम्मे हबीबा (4) डाउन सिंड्रोम का शिकार हैं। जन्मजात इनके भीतर कई तरह के अजीब लक्षण हैं। इनके चेहरे भी अजीब तरह से अन्य बच्चों से भिन्न हैं। जबकि तीसरे नंबर की बेटी अफसां (7 साल) और सबसे छोटा बेटा अमीर हमजा (2 साल) सामान्य बच्चों की तरह हैं। तीन बच्चों के जन्मजात बीमारी का शिकार पैदा होने से यह मजदूर परिवार परेशान हैं। मुफलिसी की वजह से बच्चों का इलाज नहीं करा सका। बच्चे ज्यों ज्यों बढ़ रहे हैं इनके चेहरे बदलते जा रहे हैं।

बच्चों के चेहरे आदि मानव की तरह हो रहे हैं। बच्चों की हरकतें भी सामान्य नहीं हैं। एक बच्चा अशद तो बंदरों की तरह हरकता है। मां सुहाबरीन बच्चों को खुद खाना खिलाती हैं। करीब तेरह साल में तमाम सरकारें प्रदेश और केंद्र में बनीं, तमाम योजनाएं ऐसे बच्चों के लिए चलाई गईं, लेकिन किसी योजना का इन बच्चों को लाभ नहीं मिला। परिवार की मुफलिसी की वजह से किसी जनप्रतिनिधि या अफसर ने इनकी मदद नहीं की। हालात यह है कि परिवार बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता में है।

विशेषज्ञ बोले- सही उपचार और पोषक तत्व मिले तो ठीक हो सकते हैं बच्चे

अगर बच्चे जन्मजात ऐसे हैं तो यह डाउन सिंड्रोम के शिकार कहे जा सकते हैं। बच्चों की हालत देखने और उनकी जांच कराने के बाद ही कुछ आगे कहा जा सकता है। कुछ ऐसे लक्षण होते हैं जोकि चिकित्सा विज्ञान में ठीक हो सकते हैं तो कुछ का इलाज नहीं है। इन बच्चों को नियमित पोषक तत्व मिलने चाहिए। गरीबी की वजह से ऐसा नहीं हुआ होगा। मां भी गर्भावस्था में पोषक तत्व नहीं ले सकी होगी। इसलिए भी ऐसा होता है। -डा. नीलम सिंघल, गाइकोनालाजिस्ट एवं वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ

ऐसे बच्चों को देखकर ही जांच की जा सकती है। अगर बच्चे जन्मजात ऐसे लक्षणों वाले हैं तो ठीक होने के चांस कम ही रहते हैं। इनकी अलग अलग जांच होने के बाद ही पता चल सकता है कि आखिर किस विटामिन या पोषण में क्या कमी है, उस कमी को दवाओं से दूर किया जा सकता है, लेकिन अगर कोई मानसिक दिक्कत है तो फिर ठीक होने के चांस कम रहते हैं। – डा, फहीम, बाल रोग विशेषज्ञ।

ऐसे बच्चे डाउन सिंड्रोम का शिकार हो सकते हैं। मां और पिता के क्रोमोसोम की वजह से भी ऐसी दिक्कतें आती हैं। इस परिवार ने अगर कोई जांच कराई है तो ऐसा सामने आया होगा। डाउन सिंड्रोम या फिर मंगोलियाई जड़ता भी इसे कहते हैं। बच्चों की पूरी जांच होने के बाद ही पता चल सकता है कि यह किस स्थिति में हैं। ज्यादा बड़े होने पर इनका इलाज भी संभव नहीं होता है। कम उम्र तक तो इलाज से सुधार के चांस रहते हैं। -डा. मुनीश गुप्ता, बाल रोग विशेषज्ञ।

बच्चों की न्यूरो की जांच एमआरआई और सीटी स्कैन होना चाहिए। मानसिक जांच होनी चाहिए। जन्मजात ऐसे हैं तो इनकी ग्रोथ क्यों नहीं हुई, इसे जांचने के बाद ही पता चल सकता है, कि बच्चों यह हालत क्यों है। अगर थोड़ी बहुत ग्रोथ कम होती है तो बच्चे के जन्म के बाद पोषक तत्व खाने से सुधार होता है। गरीब परिवार है तो स्वाभाविक है पोषक तत्व नहीं मिले होंगे और सुधार के बजाए हालत ऐसी बिगड़ गई होगी। बच्चों के ठीक होने की गुंजाइश है तो इन्हें ठीक किसी रिसर्च सेंटर में उपचार देने से ठीक किया जा सकता है।-डा. वीसी सक्सेना, (चाइल्ड स्पेशलिस्ट) एसीएमओ।

क्या हैं डाउन सिण्ड्रोम के लक्षण-
मन्दबुद्धिता, प्रभावित शारीरिक वृद्धि लगातार, आंशिक रूप से खुला मुंह, कान बड़े झुके हुए, अंडाकार गोल छोटा सिर, इस सिण्ड्रोम में चेहरा मंगोलों के समान होता है। आंखें तिरछी होती हैं। इसी कारण इस सिण्ड्रोम को मंगोलियाई जड़ता कहते हैं। बच्चों की हरकतें सामान्य से अलग हैं। हाथों पर खुजलाना और बंदरों की तरह कोई चीज खाना आदि हैं।

क्या है डाउन सिंड्रोम
डाउन सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जिसमें बच्चा मानसिक और शारिरिक विकारों से झूझता है। डाउन सिंड्रोम में बच्चा अपने 21वें गुणसूत्र की एक्स्ट्रा कॉपी के साथ पैदा होता है। इसलिए इसे ट्राइसॉमी-2 भी कहा जाता है। यह एक जेनेटिक डिसॉर्डर (आनुवांशिक विकार) भी है। यह बच्चे के शारीरिक विकास में देरी, चेहरे की विशेषताओं में फर्क और बौद्धिक विकास में देरी का कारण बनता है।

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