रायबरेलीः देवोत्थान एकादशी पर घर-घर नारायण भगवान की हुई पूजा

रायबरेलीः देवोत्थान एकादशी पर घर-घर नारायण भगवान की हुई पूजा

रायबरेली। देवोत्थान एकादशी पर हर घर में नारायण भगवान का स्वागत हुआ। पूजन के साथ आधी रात के बाद सूप पीटकर दरिद्रता को भगाया गया। ऊंचाहार, डलमऊ में गंगा घाटों पर लोगों ने स्नान किया। भारत परम्पराओं का देश है। सोमवार को देवोत्थान एकादशी मनाई गई। शास्त्रों में एक श्लोक है “शेष रात्रो दरिद्रा निहिशार्णम” …

रायबरेली। देवोत्थान एकादशी पर हर घर में नारायण भगवान का स्वागत हुआ। पूजन के साथ आधी रात के बाद सूप पीटकर दरिद्रता को भगाया गया। ऊंचाहार, डलमऊ में गंगा घाटों पर लोगों ने स्नान किया। भारत परम्पराओं का देश है। सोमवार को देवोत्थान एकादशी मनाई गई। शास्त्रों में एक श्लोक है “शेष रात्रो दरिद्रा निहिशार्णम” हमारी विशिष्ट परम्परा का बोध कराता है।

देवोत्थानी एकादशी की आधी रात के बाद सूप बजाकर दरिद्रता भगाने की परम्परा इसी विशिष्ट परम्परा का हिस्सा है। सूप बजाने के पीछे बड़ा तार्किक महत्व है। सूप समृद्धि को ग्रहण कर अशुद्धि और दरिद्रता को बाहर करता है। बांस से बने सूप को महिलाएं आधी रात के बाद गन्ने के अग्र भाग से पीटकर घर से दरिद्रता को भगाती है। इससे पूर्व सोमवार की शाम को ग्रामीण क्षेत्र में इस पर्व की धूम रही। रात में ग्रामीणों द्वारा पटाखे फोड़कर और तेज रोशनी जलाकर भगवान विष्णु का अभिनंदन किया गया।

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु राक्षस शंखासुर के वध के बाद चार मास तक शयन करने के बाद देवोत्थानी एकादशी के दिन जागे थे। तब से इस पर्व को मनाया जाने लगा है।ऋग्वेद में भी इस परम्परा का उल्लेख मिलता है। ऊंचाहार में सोमवार को देवोत्थानी एकादशी के दिन क्षेत्र के गोकना , पूरे तीर आदि गंगा तटों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने स्नान दान व पूजन किया है। विभिन्न बाजारों में लोगों ने गन्ना की खरीदारी की और शाम होते ही गांव रोशन हो गए।

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हालांकि शहरी क्षेत्रों में इस पर्व को लेकर कहीं कोई परंपरा व उत्साह नजर नहीं आया। ग्रामीण क्षेत्रों में शाम को भगवान विष्णु के पूजन के साथ साथ भोजन के कई प्रकार के व्यंजन भी बनाए गए थे ।