ममता के रिश्तेदारों की बढ़ती संपत्ति की जांच के लिए जनहित याचिका दायर

ममता के रिश्तेदारों की बढ़ती संपत्ति की जांच के लिए जनहित याचिका दायर

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के रिश्तेदारों की संपत्ति में हाल के वर्षों में तेजी से वृद्धि का आरोप लगाते हुए सोमवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) कलकत्ता उच्च न्यायालय में दायर की गई। याचिका में अनुरोध किया गया है कि इसकी किसी एजेंसी से जांच करायी जाए। वहीं ममता ने इस पर …

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के रिश्तेदारों की संपत्ति में हाल के वर्षों में तेजी से वृद्धि का आरोप लगाते हुए सोमवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) कलकत्ता उच्च न्यायालय में दायर की गई। याचिका में अनुरोध किया गया है कि इसकी किसी एजेंसी से जांच करायी जाए। वहीं ममता ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उनके सभी रिश्तेदार अलग-अलग रहते हैं।

उन्होंने कहा कि वह पूर्व लोकसभा सदस्य के रूप में मिलने वाली पेंशन या मुख्यमंत्री को मिलने वाले वेतन और अन्य भत्ते नहीं लेती हैं। याचिकाकर्ता के वकील तरुणज्योति तिवारी ने दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस के राज्य की सत्ता में आने के दो साल बाद यानी 2013 से ममता के परिवार के सदस्यों की संपत्ति में तेजी से वृद्धि हुई है। ममता बनर्जी के पांच भाई हैं। तिवारी ने एक प्रेस नोट में दावा किया कि याचिकाकर्ता के मन में “ममता बनर्जी के लिए काफी सम्मान” है।

उन्होंने कहा कि रिट याचिका के साथ संलग्न दस्तावेजों से पता चलता है कि परिवार के सदस्यों की संपत्ति आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक दिखती है। तिवारी ने कहा कि जनहित याचिका में यह अनुरोध किया गया है कि उच्च न्यायालय मुख्यमंत्री के रिश्तेदारों की संपत्ति की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और आयकर (आईटी) विभाग द्वारा जांच का आदेश दे।

तृणमूल कांग्रेस की छात्र इकाई के एक कार्यक्रम में बनर्जी ने कहा कि वह पूर्व सांसद के रूप में मिलने वाली एक लाख रुपये प्रतिमाह की पेंशन नहीं लेती हैं और 2011 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से उन्होंने सरकारी कोष से एक भी पैसा नहीं लिया है। उन्होंने कहा कि उन्हें किसी से पता चला कि आरोपों के साथ एक मामला दर्ज किया गया था।

उन्होंने कहा कि सिर्फ उनकी दिवंगत मां ही उनके साथ रहती थीं और कोई अन्य रिश्तेदार उनके साथ नहीं रहता। ममता ने कहा, ‘‘अन्य सभी लोग अलग-अलग रहते हैं। हम सिर्फ त्योहार – रक्षाबंधन, काली पूजा, दुर्गा पूजा, भाई दूज – एक साथ मनाते हैं ।”

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