अभी सताएगी महंगाई

अभी सताएगी महंगाई

दुनिया भर में महंगाई रिकार्ड स्तर पर है। भारतीय अर्थव्यवस्था भी ऊंची मुद्रास्फीति से जूझ रही है और इसे नियंत्रण में लाना जरूरी है। बेकाबू महंगाई पर काबू पाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रेपो दर आधा प्रतिशत बढ़ा दी है। आरबीआई ने शुक्रवार को नीतिगत दर रेपो को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.4 …

दुनिया भर में महंगाई रिकार्ड स्तर पर है। भारतीय अर्थव्यवस्था भी ऊंची मुद्रास्फीति से जूझ रही है और इसे नियंत्रण में लाना जरूरी है। बेकाबू महंगाई पर काबू पाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रेपो दर आधा प्रतिशत बढ़ा दी है। आरबीआई ने शुक्रवार को नीतिगत दर रेपो को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया है। चालू वित्त वर्ष की शुरुआत के बाद से तीसरी बढ़ोतरी है।

रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को पैसा देता है। रिजर्व बैंक ने इस साल मई महीने से रेपो रेट को बढ़ाने की शुरुआत की थी। मई माह में रेपो रेट को 0.40, उसके बाद रेपो रेट को 0.50 बढ़ाया। इससे पहले करीब दो वर्ष तक रेपो रेट महज 4 फीसदी पर बना रहा था। गत 12 मई को आए मुद्रास्फीती के डेटा से महंगाई तेजी से बढ़ने की पुष्टि हुई थी।

जून माह लगातार ऐसा छठा माह रहा जब खुदरा महंगाई रिजर्व बैंक की सीमा से ज्यादा रही। रिजर्व बैंक के रेपो रेट बढ़ाने से बैंक होम लोन, आटो लोन समेत सभी तरह के लोन पर ब्याज दर बढ़ा देते हैं। आरबीआई ने मई महीने में करीब दो साल बाद पहली बार रेपो रेट में बदलाव किया था। दो साल तक रेपो रेट महज चार फीसदी पर बना रहा था।

अब रेपो रेट बढ़कर 5.40 प्रतिशत पर पहुंच गया है। हालांकि ब्याज दरों में यह बढ़ोतरी अनुमान के मुताबिक ही रही। अर्थशास्त्रियों का अनुमान था कि मौद्रिक समिति की बैठक में रेपो रेट में 0.35 से 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जा सकती है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि महंगाई से जल्द राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। हालांकि खाने के तेल की कीमत में आगे भी गिरावट जारी रहेगी।

हालांकि उन्होंने कहा कि शहरी मांग बढ़ी है, बेहतर मानसून से ग्रामीण मांग में वृद्धि की उम्मीद है। रियल जीडीपी ग्रोथ में कोई बदलाव नहीं किया गया है। वित्त वर्ष 2023 के लिए जीडीपी ग्रोथ 7.2 फीसदी पर कायम है। दरअसल रिजर्व बैंक के लिए सबसे बड़ी चुनौती महंगाई दर को काबू में रखना है। सरकार ने भी महंगाई को बढ़ने से रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर ड्यूटी घटाई है। कुछ खाद्य तेलों पर भी ड्यूटी में कमी की गई है।

गेहूं के निर्यात पर रोक लगाई। चीनी के निर्यात पर अधिकतम सीमा तय कर दी गई। इसके बाद धीरे-धीरे महंगाई काबू में आने लगी लेकिन भू-राजनैतिक हालात व वैश्विक बाजार में कमोडिटी की बढ़ी कीमतों से महंगाई पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। रिजर्व बैंक के आज के फैसले में महंगाई एक अहम कारण बनी जबकि जुलाई के आंकड़े अभी आने बाकी हैं, यानि महंगाई आगे भी सताएगी।

Related Posts