श्रद्धालु ध्यान दें: अमरनाथ यात्रा में इस बार जंक फूड पर पाबंदी, लंगरों में मिलेगा सिर्फ पौष्टिक आहार, जानें यात्रा के बदलाव

श्रद्धालु ध्यान दें: अमरनाथ यात्रा में इस बार जंक फूड पर पाबंदी, लंगरों में मिलेगा सिर्फ पौष्टिक आहार, जानें यात्रा के बदलाव

हल्द्वानी, अमृत विचार। अमरनाथ धाम जम्मू-कश्मीर में हिमालय की गोद में स्थित एक पवित्र गुफा है, जो हिंदुओं के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। दो साल बाद इस बार 30 जून से शुरू होने जा रही अमरनाथ यात्रा के दौरान लंगरों में फ्राइड फूड, जंक फूड, स्वीट डिश, चिप्स, समोसे जैसी चीजें नहीं …

हल्द्वानी, अमृत विचार। अमरनाथ धाम जम्मू-कश्मीर में हिमालय की गोद में स्थित एक पवित्र गुफा है, जो हिंदुओं के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। दो साल बाद इस बार 30 जून से शुरू होने जा रही अमरनाथ यात्रा के दौरान लंगरों में फ्राइड फूड, जंक फूड, स्वीट डिश, चिप्स, समोसे जैसी चीजें नहीं मिलेंगी। ऐसी दर्जनों चीजें बैन कर दी गई हैं। श्राइन बोर्ड ने सभी लंगर कमेटियों को पत्र लिखा है कि यात्रियों को हरी सब्जियां, सलाद, मक्के की रोटी, सादी दाल, लो फैट दूध और दही जैसी पौष्टिक चीजें ही दी जाएं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय पर लिए गए इस फैसले में बताया गया है कि हेल्दी फूड यात्रियों की सेहत ठीक रखेगा। उनका एनर्जी लेवल ठीक रहेगा, जिससे यात्रा में परेशानी नहीं होगी। अमरनाथ गुफा जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में 17 हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई वाले अमरनाथ पर्वत पर स्थित है। अमरनाथ गुफा श्रीनगर से 141 किलोमीटर दूर दक्षिण कश्मीर में है। यह गुफा लिद्दर घाटी के सुदूर छोर पर एक संकरी घाटी में स्थित है। ये पहलगाम से 46-48 किमोमीटर और बालटाल से 14-16 किलोमीटर दूर है। गुफा समुद्र तल से 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां केवल पैदल या टट्टू से ही पहुंचा जा सकता है। तीर्थयात्री पहलगाम से 46-48 किलोमीटर या बालटाल से 14-16 किलोमीटर के फासले वाले खड़े और घुमावदार पहाड़ी रास्ते से पहुंचते हैं।

इस बीच, श्री अमरनाथ गुफा के रास्ते में लगातार मौसम बदल रहा है, दो दिन से बर्फबारी जारी है। ऐसे में यात्रा शुरू करने में देरी भी हो सकती है। श्राइन बोर्ड ने 7 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद जताई है। 2019 में कुल 3.5 लाख श्रद्धालु पहुंचे थे।

कुछ इस तरह तय करते हैं श्रद्धालु बाबा बर्फानी की यात्रा।

इन चीजों पर है पाबंदी

इस बार अमरनाथ यात्रा के दौरान मांसाहार, शराब, तंबाकू और गुटखा पर पाबंदी रहती ही है, लेकिन इस बार पुलाव, फ्राइड राइस, पूरी, भटूरा, पिज्जा, बर्गर, तले पराठे, डोसा, तली हुई रोटी, ब्रेड बटर, अचार, चटनी, पापड़, नूडल्स, कोल्ड ड्रिंक, हलवा, जलेबी, चिप्स, मठ्ठी, नमकीन, मिक्सचर, पकोड़ा, समोसा और हर तरह की डीप फ्राइड चीजें नहीं मिलेंगी।

120 संस्थाएं लगाएंगी लंगर

अमरनाथ यात्रा में करीब 120 समाजसेवी संस्थाएं यात्रा मार्ग पर लंगर लगाएंगी। ये लंगर बालटाल कैंप, बालटाल-डोमेल के बीच, डोमेल, रेलपत्री, बरारीमार्ग, संगम, नुनवान, चंदनवाड़ी, चंदनवाड़ी-पिस्सूटॉप के बीच, पिस्सूटॉप, जोजीबल, नागाकोटी, शेषनाग, वावबल, पोषपत्री, केलनार, पंचतरणी व पवित्र गुफा के पास लगेंगे।

कुछ इस तरह रहता है बाबा अमरनाथ के दर्शनों को आने वाले श्रद्धालुओं का रेला। (फाइल फोटो)

क्या है अमरनाथ धाम का महत्व

माना जाता है कि अमरनाथ स्थित इस पवित्र गुफा में भगवान शिव एक बर्फ-लिंगम यानी बर्फ के शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। बर्फ से शिवलिंग बनने की वजह से इसे ‘बाबा बर्फानी’ भी कहते हैं। पवित्र गुफा ग्लेशियर, बर्फीले पहाड़ों से घिरी हुई है। गर्मियों के कुछ दिनों को छोड़कर यह गुफा साल के अधिकांश समय बर्फ से ढंकी रहती है। गर्मियों के उन्हीं दिनों में यह तीर्थयात्रियों के दर्शन के लिए खुली रहती है।

खास बात ये है कि इस गुफा में हर साल बर्फ का शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बनता है। यह गुफा की छत में एक दरार से पानी की बूंदों के टपकने से बनता है। बेहद ठंड की वजह से पानी जम जाता है और बर्फ का शिवलिंग आकार ले लेता है। यह एकमात्र शिवलिंग है, जो चंद्रमा की रोशनी के आधार पर बढ़ता और घटता है। यह शिवलिंग श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पूरा होता है और उसके बाद आने वाली अमावस्या तक आकार में काफी घट जाता है। ऐसा हर साल होता है। इसी बर्फ के शिवलिंग के दर्शन के लिए हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु अमरनाथ की पवित्र गुफा की यात्रा करते हैं। बर्फ के शिवलिंग के बाईं ओर दो छोटे बर्फ के शिवलिंग बनते हैं, उन्हें मां पार्वती और भगवान गणेश का प्रतीक माना जाता है।

अमरनाथ यात्रा के दौरान सुरक्षा के बीच गुजरते श्रद्धालु। (फाइल फोटो)

अमरनाथ यात्रा से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

2022 की अमरनाथ यात्रा 30 जून से 11 अगस्त तक चलेगी। सभी श्रद्धालुओं को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा।

13 साल से कम और 75 वर्ष से अधिक और 6 हफ्ते से ज्यादा की प्रेग्नेंट महिला को यात्रा करने की अनुमति नहीं होगी।

श्राइन बोर्ड ने पहलगाम और बालटाल दोनों यात्रा मार्गों पर प्रतिदिन 10 हजार श्रद्धालुओं की संख्या तय करने पर सहमति दी है, इनमें हेलिकॉप्टर से यात्रा करने वालों की संख्या शामिल नहीं होगी।

इस बार फ्री बैट्री व्हीकल सुविधा का विस्तार बालटाल से डोमेल के 2 किलोमीटर लंबे यात्रा मार्ग पर करने का फैसला किया गया है।

अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के लिए सुरक्षाबलों की 250 कंपनियों के करीब 1 लाख जवानों को तैनात करने की योजना है। इसमें CRPF के जवान प्रमुख होंगे। एक अनुमान के मुताबिक, इस बार की अमरनाथ यात्रा में 10 लाख से अधिक श्रद्धालु शामिल हो सकते हैं।

अमरनाथ यात्रा में इन बातों का रखें ध्यान

महिलाओं के लिए साड़ी के बजाय सलवार-कमीज, पैंट-शर्ट या फिर ट्रैक सूट पहनकर यात्रा करें।

चप्पल पहनकर अमरनाथ ट्रैकिंग बिल्कुल न करें। रास्ते फिसलन भरे होते हैं, इसलिए फीते वाले ट्रैकिंग शूज का इस्तेमाल करें।

आपका सामान लेकर चल रहे कुली के आसपास ही रहें, जिससे किसी चीज की जरूरत होने पर तुरंत उसे बैग से निकाल सकें।

पहलगाम और बालटाल से आगे की यात्रा में अपने साथ एक वाटरप्रूफ बैग में एक्स्ट्रा कपड़े और खाने की चीजें रखें। भीगने पर इनका इस्तेमाल किया जा सकता है।

पानी की बोतल, कुछ स्नैक्स जैसे- भुने चने, ड्राय फ्रूटस, टॉफी, चॉकलेट आदि जरूर लेकर चलें।

सनबर्न से बचने के लिए अपने पास कोई भी मॉइश्चराइजर क्रीम और वैसलीन लेकर चलें।

आप गुम न हो जाएं, इसके लिए कभी भी अकेले न चलें और हमेशा साथी यात्रियों के साथ रहें।

इमरजेंसी को देखते हुए अपनी जेब में हमेशा अपना नाम, पता और घर का फोन नंबर लिखकर रखें। किसी साथी के साथ या ग्रुप में जा रहे हैं तो उनका भी फोन नंबर लिखकर रखें।

बेस कैम्प से निकलते वक्त आपका कोई साथी खो गया है तो इसकी सूचना तुरंत पुलिस को दें और व्यक्ति के खो जाने की घोषणा करवा दें।

किसी शॉर्टकट रास्ते से यात्रा पूरी करने की कोशिश न करें। ऐसा करना खतरनाक हो सकता है।