मुश्किलें कम नहीं

मुश्किलें कम नहीं

आगामी 29 नवंबर से संसद का प्रस्तावित शीतकालीन सत्र पांच राज्यों के महत्वपूर्ण माने जा रहे आगामी विधानसभा चुनावों के पहले विपक्षी दलों के लिए सरकार को घेरने का मौका हो सकता है। कोविड-19 महामारी के चलते पिछले वर्ष संसद का शीतकालीन सत्र नहीं हुआ था और बजट सत्र तथा मानसून सत्र को भी संक्षिप्त …

आगामी 29 नवंबर से संसद का प्रस्तावित शीतकालीन सत्र पांच राज्यों के महत्वपूर्ण माने जा रहे आगामी विधानसभा चुनावों के पहले विपक्षी दलों के लिए सरकार को घेरने का मौका हो सकता है। कोविड-19 महामारी के चलते पिछले वर्ष संसद का शीतकालीन सत्र नहीं हुआ था और बजट सत्र तथा मानसून सत्र को भी संक्षिप्त कर दिया गया था। ऐसे में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का दिल्ली दौरा अहम माना जा रहा है।

माना जा रहा है कि तीन कृषि कानूनों की वापसी के बाद वे बीएसएफ के अधिकारों समेत कई और मुद्दों पर सरकार की घेराबंदी के लिए विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश कर रही हैं। मानसून सत्र की तरह विपक्ष के पेगासस स्पाईवेयर मामले पर अपना विरोध जारी रखने की संभावना है।

सत्र के दौरान तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक लाया जाएगा। प्रधानमंत्री की कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा के बाद हुई लखनऊ महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार के सामने अपनी छह प्रमुख मांगे रखी हैं। देखना दिलचस्प होगा कि इन छह मांगों में से कितनी मांगें सरकार मानती है और इन पर फैसला लेने के लिए कितना वक्त लगाती है। क्या यह भी चुनावी नफा-नुकसान देख कर ही तय होगा।

अगर भाजपा को यह अंदेशा होता है कि किसानों से अब भी नुकसान की गुंजाइश है, तो मुमकिन है ये मांगें पूरी होने का आश्वासन मिल जाए। विपक्ष का आरोप है कि मौजूदा सरकार देश को निर्वाचित निरंकुशता की ओर धकेल रही रही है। इसी के चलते 14 नवंबर को ईडी और सीबीआई के निदेशकों के कार्यकाल को मौजूदा दो साल से बढ़ाकर पांच साल करने के लिए सरकार दो अध्यादेश लेकर आई है। संसद का सत्र निकट होने पर भी अध्यादेश जारी करने को लेकर विरोधी दल सरकार पर सवाल उठा रहे हैं।

कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा के बाद इस मामले में विपक्ष को एक बार फिर से सरकार की संसद में घेराबंदी करने का मुद्दा मिल गया है। इस सत्र में सरकार कई अहम विधेयक लाने की तैयारी में है। सत्र में वित्तीय क्षेत्र से जुड़े दो महत्वपूर्ण विधेयक ला सकती है, जिनकी घोषणा सरकार ने बजट में की थी।

विपक्ष की ओर से जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों और आम नागरिकों की हत्या का मामला भी जोर पकड़ सकता है। ऐसे में सरकार के लिए किसी भी विधेयक पर बहस करवा पाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। सत्र के दौरान करीब 20 बैठकें होंगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि सदन सुचारू रूप से चलेगा और सभी मुद्दों पर चर्चा होगी।

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