हल्द्वानी: नौ गुना ज्यादा बारिश फिर भी बैराज में पानी का संकट

यतीश शर्मा,  अमृत विचार, हल्द्वानी। इस बार शीतकालीन बारिश रिकार्ड स्तर से भी ज्यादा हो चुकी है। इसके बाद भी गौला नदी में जलस्तर बारिश की अपेक्षाकृत कम चल रहा है। शीतकालीन कृषि पूरी तरह से गौला के पानी से होने वाली सिंचाई पर ही निर्भर होती है लेकिन नदी में पर्याप्त पानी नहीं होने …

यतीश शर्मा,  अमृत विचार, हल्द्वानी। इस बार शीतकालीन बारिश रिकार्ड स्तर से भी ज्यादा हो चुकी है। इसके बाद भी गौला नदी में जलस्तर बारिश की अपेक्षाकृत कम चल रहा है। शीतकालीन कृषि पूरी तरह से गौला के पानी से होने वाली सिंचाई पर ही निर्भर होती है लेकिन नदी में पर्याप्त पानी नहीं होने से सिंचाई विभाग परेशान चल रहा है। यही नहीं हल्द्वानी की एक बड़ी आबादी के पेयजल का जिम्मा भी गौला नदी पर ही है।

जिले में अक्टूबर से अभी तक 409.6 मिमी बारिश हो चुकी है। जबकि इस दौरान यहां पर सामान्य तौर पर 51.6 मिमी बारिश होती है। गौला नदी के उद्गम स्थल पहाड़पानी क्षेत्र में भी जमकर बारिश हो चुकी है। आपदा के दौरान बैराज में एक लाख 90 हजार क्यूसेक पानी का रिकार्ड बना था। इसके कारण यहां से संचालित सभी नहरें ओवर फ्लो हो गई थीं। अब फिर से बैराज में जलस्तर कम होने लगा है। यहां वर्तमान में 250 क्यूसेक पानी है। जबकि यदि यहां से यदि सभी नहरों को पानी की सप्लाई दी जाए तो 450 क्यूसेक पानी की आवश्यकता पड़ती है।

पानी की कमी को दूर करने के लिए अधिकारी एक बार फिर मूसलाधार बारिश की आस लगाकर बैठे हैं। सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यदि जल्द ही बारिश नहीं हुई तो बैराज में पानी की कमी आ सकती है। साथ ही अधिकारियों के लिए यह भी चिंता का विषय बना हुआ है कि सामान्य से करीब नौ गुना ज्यादा बारिश होने के बाद भी गौला में पानी कम बना हुआ है।

आपदा में टूटी नहर ने बचाई अधिकारियों की लाज
आपदा में गौला नहर के टूटने से अधिकारियों को बहुत राहत है। यदि यह नहर नहीं टूटती तो सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने में सिंचाई विभाग के अधिकारियों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती। दिसंबर माह में सिंचाई के लिए किसानों को पानी बहुत आवश्यकता होती है और सिंचाई के लिए पानी का मुख्य साधन नहर है। गौला नहर के टूटने से 45 गांव के लोग भले ही सिंचाई के पानी के लिए परेशान हो, लेकिन इसके कारण सिंचाई विभाग के अधिकारियों को काफी राहत है।

नदी के जितने पानी को हम स्टोर कर सकते हैं कर रहे हैं। नदी में पानी कम है। यह बात सही है कि सिंचाई के लिए 450 क्यूसेक पानी की आवश्यकता होती है और वर्तमान में 250 क्यूसेक पानी ही बैराज में है।
-आरबी सिंह, अधीक्षण अभियंता