मुरादाबाद : महिला सिपाही के सामने एसएसपी ने खींची लकीर

मुरादाबाद : महिला सिपाही के सामने एसएसपी ने खींची लकीर

मुरादाबाद,अमृत विचार। एक महिला सिपाही सफलता का शिखर छूने को बेताब है। होनहार बेटी राष्ट्रीय फलक पर पीतलनगरी ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश पुलिस का मान बढ़ाने को आतुर है। जुनून व जज्बे से ओतप्रोत बेटी पुलिस साइकिलिंग की राष्ट्रीय प्रतियोगिता का गोल्ड मेडल अपने नाम करने का सपना मन में पाल कर बैठी है। …

मुरादाबाद,अमृत विचार। एक महिला सिपाही सफलता का शिखर छूने को बेताब है। होनहार बेटी राष्ट्रीय फलक पर पीतलनगरी ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश पुलिस का मान बढ़ाने को आतुर है। जुनून व जज्बे से ओतप्रोत बेटी पुलिस साइकिलिंग की राष्ट्रीय प्रतियोगिता का गोल्ड मेडल अपने नाम करने का सपना मन में पाल कर बैठी है।

तमन्ना पूरी होने की राह में संसाधन का अभाव रोड़ा बना तो बुधवार को वह एसएसपी के सामने पेश हुई। मातहत का मन टटोलने के बाद एसएसपी ने एक नई लकीर खींची। कहा लकीर छूकर बताना। दमखम के आधार पर ही डेढ़ लाख रुपये की साइकिल की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। एसएसपी से मिले लक्ष्य से बेटी की प्रतिबद्धता और सशक्त हो गई है। लगन व मेहनत के दम पर महिला सिपाही नया कीर्तिमान गढ़ने को बेकरार है।

बचपन से ही धावक बनना अंकुल का रहा सपना: बिजनौर में चांदपुर की मूल निवासी अंकुल तोमर 2011 में यूपी पुलिस में शामिल हुईं। बचपन से ही धावक बनना अंकुल का सपना रहा। पुलिस में भर्ती होने के बाद भी वह लगातार दौड़ लगाती रहीं। महिला सिपाही की मेहनत का प्रतिफल रहा कि राष्ट्रीय दौड़ प्रतियोगिताओं में शामिल होने का उन्हें मौका मिला। 2022 में यूपी पुलिस ने लखनऊ में वार्षिक खेल का आयोजन किया। पहली बार प्रतियोगिता में साइकिलिंग शामिल की गई। तब अंकुल तोमर ने साइकिलिंग में शामिल होने का मन बनाया। 15 व 30 किमी साइकिल दौड़ प्रतियोगिता की वह विजेता बनीं।

महिला सिपाही को दो गोल्ड मेडल मिले। इस सफलता ने अक्टूबर में दिल्ली में होने वाले राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए महिला सिपाही को प्रेरित किया। जरूरत उच्च तकनीकी से लैस मजबूत साइकिल की थी। पूछताछ में पता चला कि अच्छी साइकिल की कीमत बाजार में कम से कम डेढ़ लाख रुपये की है। सीमित आय से महंगी साइकिल खरीदना ख्वाब लगा। राष्ट्रीय प्रतियोगिता में मेडल जीतने की ललक संसाधनों के अभाव पर भारी पड़ी।

ये भी पढ़ें : घोषणाओं का कारवां अब मंजिल की ओर, मुरादाबाद को बहुत जल्द मिलेगा सरकारी विश्वविद्यालय