ब्रेन फॉग में याददाश्त और निर्णय लेने की क्षमता होने लगी कम

ब्रेन फॉग में याददाश्त और निर्णय लेने की क्षमता होने लगी कम

बरेली, अमृत विचार। कोरोना को मात दे चुक 50 फीसद लोगों में अनेक प्रकार की समस्याएं होने के मामले सामने आ रहे हैं। नींद न आना, सिर दर्द से लेकर हमेशा नकारात्मक विचार बने रहने की दिक्कत आम होती जा रही है। इसमें 15 प्रतिशत रोगियों को चिकित्सक के सुझाव पर नियमित दवा से दस …

बरेली, अमृत विचार। कोरोना को मात दे चुक 50 फीसद लोगों में अनेक प्रकार की समस्याएं होने के मामले सामने आ रहे हैं। नींद न आना, सिर दर्द से लेकर हमेशा नकारात्मक विचार बने रहने की दिक्कत आम होती जा रही है। इसमें 15 प्रतिशत रोगियों को चिकित्सक के सुझाव पर नियमित दवा से दस दिनों में सुधार हो रहा है, बाकी के 35 फीसद लोगों में डाक्टर ब्रेन फाग की समस्या बता रहें हैं। इस तरह के मरीजों को घबराने की जरुरत नहीं है, बल्कि विशेषज्ञ चिकित्सकों के परामर्श पर दवा शुरू करने की जरुरत है।

शरीर की इम्युनिटी क्षमता की वजह से भले ही कोरोना वायरस के संक्रमण को मात दे दिया हो, लेकिन वायरस ने संक्रमणकाल के दौरान शरीर में बने साइटोकाइन स्टार्म ने तंत्रिका तंत्र पर घातक असर छोड़ गया है। कोरोना से उबरने वाले 35 फीसद मरीजों में ब्रेन फाग जैसी दिमागी बीमारियां मिल रही हैं। याददाश्त और निर्णय लेने की क्षमता भी कम होने लगी है। नए न्यूरोलोजिकल डिसआर्डर पनपने की का खतरा उत्पन्न हो चुका है।

मुलाना मेडिकल कालेज से लेकर शहर और छावनी में के अस्पताल में इस तरह के मरीजों की संख्या कम नहीं हो रही है। इन मरीजों में दिमागी बीमारियाें के अलावा मेमोरी लास, चिड़चिड़ापन, निर्णय लेने में कमी और गफलत ज्यादा मिली। ऐसे मरीजों में भी ब्रेन फाग ज्यादा मिला, जिनके शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ तेजी से एंटीबाडी बनी।

क्या करें पोस्ट कोविड मरीज

  • छह-आठ घंटे की नींद लें। इससे तंत्रिका तंत्र की मरम्मत होती है।
  • शराब व अन्य नशों से बचें।
  • अंकुरित अनाज, फल, व हरी सब्जियां खाएं। वसायुक्त व मसालेदार चीजों से बचें।
  • सामाजिक कार्यों में भागीदारी रखें। आपसी संवाद बढ़ाएं।

जिला अस्पताल के मनोरोग चिकित्सक डा. अशीष ने बताया कि साइटोकाइन स्टार्म से न सिर्फ फेफड़े, हार्ट, किडनी व अन्य अंगों पर घातक असर पड़ा, बल्कि तंत्रिका तंत्र भी कमजोर हो गई। पोस्ट कोविड मरीजों में एंजाइटी, डिप्रेशन, अरुचि, पैनिक डिसआर्डर व आत्मविश्वास की भारी कमी है।

इस प्रकार की समस्याओं के बारे में जानकारी दे रहे मनोचिकित्सक डा. राकेश यदुवंशी का कहना है की ऐसे में नियमित योगाभ्यास करने से दिमागी क्षमता बढ़ती है। इसके अलावा दिक्कत ज्यादा बढ़ने पर जल्द से जल्द विशेषज्ञ चिकित्सकों से जांच करा उपचार कराना चाहिए ।

ताजा समाचार