लखनऊ: नसबंदी कराने में पुरुषों से आगे महिलाएं, 11 दिसंबर तक बढ़ा अभियान

लखनऊ: नसबंदी कराने में पुरुषों से आगे महिलाएं, 11 दिसंबर तक बढ़ा अभियान

लखनऊ। राजधानी लखनऊ में 22 नवम्बर से चल रहे नसबंदी पखवाड़ा अभियान में बेहतर परिणाम सामने नहीं आने पर 11 दिसंबर तक के लिए बढ़ा दिया गया है। जबकि पहले यह विशेष अभियान 4 दिसंबर तक ही चलाया जाना था। परिवार कल्याण द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार जिले में अप्रैल 2021 से 20 नवंबर 2021 …

लखनऊ। राजधानी लखनऊ में 22 नवम्बर से चल रहे नसबंदी पखवाड़ा अभियान में बेहतर परिणाम सामने नहीं आने पर 11 दिसंबर तक के लिए बढ़ा दिया गया है। जबकि पहले यह विशेष अभियान 4 दिसंबर तक ही चलाया जाना था। परिवार कल्याण द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार जिले में अप्रैल 2021 से 20 नवंबर 2021 यानि कि 8 माह में 2031 ने नसबंदी कराई। जिसमें 1819 महिलाओं जबकि पुरुषों महज 212 पुरुष सामने आए हैं। जिसमें सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर 133 पुरुषों और 1367 महिलाओं ने नसबंदी कराया है। वहीं हौसला साझेदारी के तहत निजी अस्पतालों में 79 पुरुषों और 452 महिलाओं ने नसबंदी कराई है।

आंकड़ों पर गौर करें तो महिलाओं का औसत करीब 85% तो पुरुषों का 15% तक ही पहुंच रहा है। ऐसे में बेशक यह कहा जा सकता है कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं कहीं न कहीं अधिक जागरूक हैं। डॉ. अभिलाषा ने बताया कि पुरुष इसे को लेकर अनेक भ्रांतियां हैं जिसकी वजह से लोग इस साधन को अपनाने में झिझकते हैं। नसबंदी में केवल पुरुष की शुक्रवाहिनी नलिका को काट कर बांध दिया जाता है, निकाला नहीं जाता। यह विधि पुरुषों की यौन क्षमताओं को प्रभावित नहीं करती है। व्यक्ति वैवाहिक सुख का पूरा आनंद लेता है।

नसबंदी से पुरुषों में कोई कमजोरी नहीं आती है। यह तीन माह बाद ही प्रभावशाली होती है, उससे पहले नहीं। लोगों में यह भ्रांति है कि पुरुष नसबंदी केवल जाड़े में करवानी चाहिए। ठंड के अलवा दूसरे मौसम में करवाने से संक्रामण का खतरा होगा, जबकि ऐसा नहीं है। नसबंदी आप किसी भी मौसम में करवा सकते है, इसका मौसम से कोई संबंध नहीं होता है। उन्होंने बताया पुरुष नसबंदी करवाने पर लाभार्थी को 2000 रुपये दिए जा रहे हैं। जबकि आशा वर्करों को प्रेरित करने के लिए 300 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

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