लखनऊ: डॉक्टर की डिग्री देख कर करायें इलाज, नहीं तो हो जायेंगे और बीमार

लखनऊ। राजधानी लखनऊ में तीन दिवसीय मिड डर्माकोन 2022 कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जा रहा है। इस कॉन्फेंस में देश विदेश के करीब 2000 चर्म रोग विशेषज्ञ इक्कठा होंगे और स्किन,बाल व यौन रोगों के निदान पर नई तकनीक पर चर्चा करेंगे । साथ ही सीनियर डॉक्टर्स अपने अनुभव कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने आये डॉक्टरों …

लखनऊ। राजधानी लखनऊ में तीन दिवसीय मिड डर्माकोन 2022 कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जा रहा है। इस कॉन्फेंस में देश विदेश के करीब 2000 चर्म रोग विशेषज्ञ इक्कठा होंगे और स्किन,बाल व यौन रोगों के निदान पर नई तकनीक पर चर्चा करेंगे । साथ ही सीनियर डॉक्टर्स अपने अनुभव कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने आये डॉक्टरों से साझा करेंगे। इस बात की जानकारी स्किन स्पेशलिस्ट डॉ.सुमित गुप्ता ने पत्रकार वार्ता के दौरान दी। उन्होंने बताया कि आईएडीवीएल सोसाइटी द्वारा तीन दिवसीय कॉन्फेंस का आयोजन किया जा रहा है। यह कॉन्फ्रेंस 23 तारीख से 25 तारीख तक चलेगा।

इस दौरान उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में झोला छाप डॉक्टरों की भरमार है। उन्होंने बताया कि लोगों को झोलाछाप डॉक्टरों से सावधान रहना चाहिए,शहर में करीब पांच हजार चिकित्सक ऐसे हैं जो खुद को स्किन रोग विशेषज्ञ बताते हैं और मरीज उनके पास इलाज के लिए पहुंच जाता है। यह झोलाछाप डॉक्टर मरीज के जीवन के साथ खिलवाड़ करने का काम कर रहे हैं,झोलाछाप चिकित्सकों से इलाज कराने वाले लोगों की बीमारी तो ठीक नहीं होती,बल्कि बीमारी और बढ़ जाती है।

ऑर्गनाइजिंग कमेटी के साइंटिफिक सेक्रेटरी डॉ. सुमित गुप्ता ने बताया कि इस तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस में हेयर, नेल, स्किन, लेप्रोसी, यौवन इन्फेक्शन व भ्रांतियों पर चर्चा होगी। उन्होंने बताया कि जो ऑनलाइन क्रीम्स बिकती हैं, उनसे दूरी बनाएं। क्योंकि, इनमें स्टेरॉयड होता है। जो फंगल इंफेक्शन को दोगुनी तेज़ी से बढ़ाता है।

डॉ. सुमित के मुताबिक, सोशल मीडिया पर बताए गए उत्पादों पर मत ध्यान दें। इससे चेहरे पर मूंछो व दाढ़ी के जगह बाल आने लगते हैं। ‘इंडियन एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजिस्ट्स, वेनेरोलॉजिस्ट्स और लेप्रोलॉजिस्ट्स’ के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. अमित मदान ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इस बार ‘मिड डर्माकॉन’ कॉन्फ्रेंस लखनऊ में हो रही है। जो कि आने वाले तीन दिनों (23, 24 व 25 सितंबर) तक होगी।

‘डिग्री देखकर ही जाएं इलाज कराने’
डॉ. अमित मदान ने कहा कि आम जन को यह बात पता होनी चाहिए कि अगर उनको स्किन से सम्बंधित कोई भी बीमारी है, तो वो एमबीबीएस, एमडी (स्किन) की डिग्री वाले डॉक्टरों के पास ही जाएं। क्योंकि, जो पढ़े-लिखे डॉक्टर होते हैं, उन्हीं को सही जानकारी होती है। वही पेशेंट का ठीक से इलाज कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस कॉन्फ्रेंस में नयी विधियों व तकनीकों के बारे में युवा डॉक्टरों को जानकारी दी जाएगी। लेजर तकनीक इस समय प्रचलित है।

इम्युनिटी कम होने की वजह से बच्चों में हो रहा इन्फेक्शन
ऑर्गनाइजिंग कमेटी के चीफ को-ऑर्डिनेटर डॉ. सुरेश तलवार ने बताया कि इस वक़्त बच्चों में हाथ-पैर में दानों के निकलने की समस्या बढ़ती दिख रही है। जिसका एकमात्र कारण शरीर में इम्युनिटी की कमी है। जो कोरोना के बाद लगभग हर दूसरे व्यक्ति में देखी जा सकती है। इसमें बच्चों में लाल धब्बे नज़र आने लगते हैं।

उन्होंने बताया कि इससे बचने के लिए खिलाई-पिलाई पर विशेष ध्यान दें। यदि यह होता है, तो बच्चों को तरल पदार्थ ज़रूर दें। और, बुखार आने पर उसकी दवा दें। साथ ही, डॉक्टर तलवार ने बताया कि लेप्रोसी (कुष्ठ रोग) एक पेशेंट से दूसरे पेशेंट में नहीं जाती है। पहले इस बीमारी को लेकर तमाम तरह की भ्रांतियां थीं। लेकिन, अब इसके पेशेंट नाम मात्र मिलते हैं। और, इसकी दवा शुरू करते ही, एक महीने में ठीक हो जाती है।

युवा डॉक्टरों को नयी विधियों व तकनीकों की दी जाएगी जानकारी’
कमेटी के चेयरपर्सन डॉ. नीरज पांडे ने कहा कि इस कॉन्फ्रेंस में बॉलीवुड व टॉलीवुड सेलिब्रिटी के भी डॉक्टर आएंगे। जो बताएंगे कि कैसे बढ़ती उम्र में निखार को बनाए रखने के लिए क्या-क्या करना चाहिए। डॉ. नीरज के अनुसार, कॉन्फ्रेंस में मुंबई, हैदराबाद, बैंगलोर सहित देशों से डॉक्टर आएंगे।

विश्व की दूसरी सबसे बड़ी एसोसिएशन
बता दें कि ‘इंडियन एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजिस्ट्स, वेनेरोलॉजिस्ट्स और लेप्रोलॉजिस्ट्स’ विश्व की दूसरी सबसे बड़ी स्किन की एसोसिएशन है। जिसके 50 साल पूरे हो गए हैं। एसोसिएशन में करीब 14 हजार डॉक्टर सदस्य हैं। जिसका मुख्य उद्देश्य नयी-नयी बीमारियों पर रिसर्च करना और नये डॉक्टरों को उसकी जानकारी देना है।

इस मौके पर साइंटिफिक चेयरपर्सन डॉ. अबीर सारस्वत व ट्रेजरार डॉ. अंकुर तलवार ने भी जानकारी देते हुए बताया कि यह कांफ्रेंस युवा डॉक्टरों के लिए बेहद अहम होने वाली है। क्योंकि, इसके जरिये उन्हें नयी-नयी तकनीकियों व विधियों के बारे में न सिर्फ़ जानकारी मिलेगी, बल्कि डॉक्टरों के अनुभव से उन्हें कार्य करने में काफी मदद मिल सकेगी।

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