लखनऊ: पीडब्ल्यूडी की सड़कों की ऑनलाइन उपलब्ध होगी हर जानकारी

लखनऊ: पीडब्ल्यूडी की सड़कों की ऑनलाइन उपलब्ध होगी हर जानकारी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की सड़कों की हर जानकारी अब ऑनलाइन उपलब्ध होगी। इसके लिये विभाग में एक खास किस्म का ‘एस्टिमेटर सॉफ्टवेयर’विकसित किया जा रहा है। इसकी मदद से हर एक सड़क की भौतिक स्थिति की जानकारी ऑनलाइन प्राप्त की जा सकेगी। इसके लिए पीडब्ल्यूडी की सड़कों की ‘ऑनलाइन मॉनिटरिंग’व्यवस्था …

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की सड़कों की हर जानकारी अब ऑनलाइन उपलब्ध होगी। इसके लिये विभाग में एक खास किस्म का ‘एस्टिमेटर सॉफ्टवेयर’विकसित किया जा रहा है। इसकी मदद से हर एक सड़क की भौतिक स्थिति की जानकारी ऑनलाइन प्राप्त की जा सकेगी। इसके लिए पीडब्ल्यूडी की सड़कों की ‘ऑनलाइन मॉनिटरिंग’व्यवस्था को मूर्तरूप दिया जा रहा है।

विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को बताया कि यह व्यवस्था लागू होने के बाद विभागीय परियोजनाओं की ‘रियल टाइम मॉनिटरिंग’भी की जा सकेगी। इसके लिए ड्रोन एवं सेटेलाइट की मदद से परियोजनाओं का सर्वे किया जाएगा। गौरतलब है कि विभाग में पहले से प्रचलित सृष्टि, विश्वकर्मा, चाणक्य, प्रहरी व कोर्ट केस मॉनिटरिंग सिस्टम के अन्तर्गत कार्य हो रहे है। इस कड़ी में अब विभाग में एस्टिमेटर, निगरानी तथा डिजिटाइजेशन ऐप विकसित किया जा रहा है।

विभाग में प्रचलित और विकसित किए जा रहे सॉफ्टवेयर को एकीकृत प्रणाली के अंतर्गत लाया जा रहा है। यह कार्य पूरा हो जाने के बाद मार्गों का नियोजन एवं निर्माण कार्यों का अनुरक्षण सुगमता से हो सकेगा। प्रदेश सरकार की प्राथमिकता के अनुरूप विभाग में ई ऑफिस प्रणाली लागू करने के उद्देश्य से डिजिटाइजेशन के कार्यों में तेजी लाते हुए, प्रदेश के पीडब्ल्यूडी कार्यालयों में अगले साल 01 जनवरी से अनिवार्य रूप से ई-ऑफिस प्रणाली लागू हो जायेगी।इसके लिए मुख्यालय स्तर पर आगामी 01 जुलाई से यह कार्य चरणबद्ध तरीके से प्रारंभ होगा।

विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ‘एस्टिमेटर सॉफ्टवेयर’के माध्यम से विभाग में खंड स्तर पर बनने वाले एस्टीमेट को पूरी तरह से ऑनलाइन ही मुख्यालय स्तर पर प्राप्त किया जा सकेगा। एस्टिमेटर लागू होने के उपरांत एस्टीमेट के गठन, विभिन्न स्तरों पर परीक्षणों में संशोधन की प्रक्रिया समयबद्ध रूप से सुगमतापूर्वक संभव हो सकेगी। इससे कार्य में पारदर्शिता आएगी एवं जन सामान्य को सुविधा भी होगी।

उन्होंने बताया कि सॉफ्टवेयर की मदद से सड़कों की जीआईएस मैपिंग की जा रही है। इससे सड़क के हर हिस्से के को-आर्डिनेंट्स फीड हो जाएंगे। जीआईएस मैपिंग का काम शुरू कर दिया गया है। यह काम शीघ्र पूरा हो जायेगा।

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