लखनऊ: सहकर्मी ही महिलाओं के रिश्तों को कर रहे दागदार, प्रेमजाल में फंसाकर बना रहे हवस का शिकार

लखनऊ: सहकर्मी ही महिलाओं के रिश्तों को कर रहे दागदार, प्रेमजाल में फंसाकर बना रहे हवस का शिकार

लखनऊ। तहजीब का शहर लखनऊ में अब महिलाएं असुरक्षित महसूस करने लगी है। राजधानी में सहकर्मी का रिश्ता महिलाओं की अस्मिता का दुश्मन बन रहा है। कार्यालय में साथ काम करने वाले साथी ही महिलाओं को प्रेम जाल में फंसाकर हवस का शिकार बना रहे हैं। राजधानी में पिछले दो दिनों में दुष्कर्म के छह …

लखनऊ। तहजीब का शहर लखनऊ में अब महिलाएं असुरक्षित महसूस करने लगी है। राजधानी में सहकर्मी का रिश्ता महिलाओं की अस्मिता का दुश्मन बन रहा है। कार्यालय में साथ काम करने वाले साथी ही महिलाओं को प्रेम जाल में फंसाकर हवस का शिकार बना रहे हैं। राजधानी में पिछले दो दिनों में दुष्कर्म के छह मामले सामने आए हैं।

इनमें से पांच मामले ऐसे हैं, जिनमें कामकाजी युवतियों को उनके कार्यालय में साथ में काम करने वाले पुरुष साथी ने प्रेमजाल में फंसाया और दुष्कर्म किया। 3 मई को दर्ज कराए गए दो अलग-अलग दुष्कर्म के मामलों में कार्रवाई करते हुए हुसैनगंज और मड़ियांव पुलिस ने गुरुवार को दोनों आरोपी सहकर्मियों को गिरफ्तार किया।

किसी ने नहीं सुना तो ली पुलिस की मदद

ऐसी पीड़िताओं का आरोप था कि सहकर्मी ने प्रेम जाल में फंसाकर शादी का झांसा दिया फिर जबरन दुष्कर्म किया। मानसिक व आर्थिक रूप से प्रताड़ित भी किया। पीड़िताओं ने इसकी शिकायत अपने संगत संस्थानों में भी की पर कोई समुचित कार्रवाई नहीं की गई। अंतत: उन्हें पुलिस की मदद लेनी पड़ी।

रिश्तेदार या दोस्त ही होते हैं आरोपी : मनोचिकित्सक

साइकैट्रिस्ट (मनोचिकित्सक) डॉ. दीपक गिरी ने बताया कि दुष्कर्म जैसी घटना को कारित करना एक तरह की विक्षिप्त मनोअवस्था के कारण होता है। दुष्कर्म के अधिकांश मामलों में आरोपी कोई रिश्तेदार, पड़ोसी, सहकर्मी या दोस्त ही होता है। पीड़िता के साथ अधिकांश समय साथ रहने वाले लोग ही इस प्रकार की घटनाओं को कारित करते हैं। इसलिए महिलाओं के लिए जरूरी है कि ”गुड टच-बैड टच” के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करें।

कार्य स्थल पर सुरक्षा का नहीं कोई ध्यान

वर्ष 2013 में महिलाओं पर कार्यस्थल पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दि सेक्सुअल हैरेसमेंट ऑफ वूमेन ऐट वर्कप्लेस (प्रिवेंशन, प्रॉहिबिशन एंड रिड्रेसल) एक्ट बनाया गया था। इस एक्ट को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सभी सरकारी व निजी कार्यालयों में कड़ाई से लागू करने के निर्देश दिये गये थे।

कार्यालयों में इस एक्ट से संबंधित क्या करें-क्या न करें, कैसे शिकायत करें आदि के पैम्पलेट सूचना बोर्ड पर लगाने का भी आदेश दिया गया था।इस एक्ट पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। पीड़िताओं के सेक्सुअल हैरेसमेंट का शिकार होने पर शिकायत करने के बावजूद कार्यालय स्तर से मामलों का निष्पक्ष निस्तारण नहीं किया जा रहा।

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