Kajari Teej Date 2022: कब है कजरी तीज? नोट कर लें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Kajari Teej Date 2022: कब है कजरी तीज? नोट कर लें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Kajari Teej Date 2022: साल 2022 में त्योहारों का सिलसिला लगातार जारी है। रक्षाबंधन के बाद अब कजरी तीज और कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। यह तीज भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में कजरी तीज को काफी धूमधाम से मनाया जाता है। …

Kajari Teej Date 2022: साल 2022 में त्योहारों का सिलसिला लगातार जारी है। रक्षाबंधन के बाद अब कजरी तीज और कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। यह तीज भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में कजरी तीज को काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार यह तीज 14 अगस्त को पड़ी रही है। बता दें कि सावन और भाद्रपद में तीन तरह की तीज आती हैं- (1) हरियाली तीज (2) कजरी तीज (3) हरतालिका तीज

कजरी तीज रक्षा बंधन के तीन दिन बाद और कृष्ण जन्माष्टमी के पांच दिन पहले मनाई जाती है।  इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। कजरी तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। तो आइए जानते हैं किस शुभ मुहूर्त पर करें कजरी तीज की पूजा।

शुभ मुहूर्त

  • कजरी तीज रविवार, अगस्त 14, 2022 को
  • तृतीया तिथि प्रारम्भ – अगस्त 14, 2022 को सुबह 12 बजकर 53 मिनट से शुरू
  • तृतीया तिथि समाप्त – अगस्त 14, 2022 को रात 10 बजकर 35 मिनट पर खत्म

शुभ योग

  • अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 08 मिनट से 12 बजकर 59 मिनट तक
  • सर्वार्थ सिद्धि योग- रात 09 बजकर 56 मिनट से अगस्त 15 सुबह 06 बजकर 09 मिनट तक
  • विजय मुहूर्त- शाम 02 बजकर 41 मिनट से शाम 03 बजकर 33 मिनट तक

पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहन लें। इस दिन निर्जल व्रत रखा जाता है। लेकिन अगर आप गर्भवती हैं तो फलाहार कर सकती हैं। पूजा करने से पहले मिट्टी के शिव-पार्वती बना लें। आप शिव-पार्वती की प्रतिमा की पूजा भी कर सकती हैं।

इसके बाद माता पार्वती को सुहाग का सारा सामना चढ़ाएं और पूजा करें। पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें और घर में मौजूद सभी बड़े-बुजुर्गों का पैर छूकर आशीर्वाद लें। रात में चांद निकलने से पहले पूरा श्रृंगार कर लें। इसके बाद हाथ में गेहूं के दाने लेकर चंद्रमा को अर्घ्य दें और भोग चढ़ाएं। फिर उसी स्थान पर घूमकर चार बार परिक्रमा करें। इसके बाद आप अपना व्रत खोल सकत हैं।

ये भी पढ़ें- Incredible India: सिर्फ रक्षाबंधन पर ही खुलते हैं इस मंदिर के कपाट