भारतीय उच्चायुक्त ने श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे से की मुलाकात, इन मुद्दों पर की चर्चा

भारतीय उच्चायुक्त ने श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे से की मुलाकात, इन मुद्दों पर की चर्चा

कोलंबो। श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त गोपाल बागले ने देश के नए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे से शुक्रवार को मुलाकात की और आर्थिक संकट से जूझ रहे द्वीपीय देश की मौजूदा स्थिति पर चर्चा की। सूत्रों ने यह जानकारी दी। विक्रमसिंघे के प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभालने के बाद उनसे मुलाकात करने वाले बागले पहले विदेशी …

कोलंबो। श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त गोपाल बागले ने देश के नए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे से शुक्रवार को मुलाकात की और आर्थिक संकट से जूझ रहे द्वीपीय देश की मौजूदा स्थिति पर चर्चा की। सूत्रों ने यह जानकारी दी। विक्रमसिंघे के प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभालने के बाद उनसे मुलाकात करने वाले बागले पहले विदेशी राजदूत हैं।

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देश की कर्ज में डूबी अर्थव्यवस्था को उबारने और राजनीतिक गतिरोध समाप्त करने का इरादा जताते हुए, यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता विक्रमसिंघे (73) ने गुरुवार को श्रीलंका के 26वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। जनता के भारी विरोध के बाद महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। सूत्रों ने बताया कि विक्रमसिंघे के पदभार संभालने के बाद शुक्रवार को बागले उनके कार्यालय पहुंचे और उनसे मुलाकात की। उन्होंने देश की वर्तमान स्थिति और मौजूदा आर्थिक संकट पर चर्चा की।

श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजाद होने के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है। भारत जनवरी से ही श्रीलंका की, आर्थिक सहायता पैकेज के जरिए मदद कर रहा है। श्रीलंका में विदेशी मुद्रा की कमी के कारण भारत ने ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की खरीद के लिए उसे ऋण सुविधा प्रदान की है। भारत ने इस साल जनवरी से ऋण, ऋण सुविधा और अदला-बदली सुविधा के जरिए श्रीलंका की तीन अरब डॉलर से अधिक की मदद करने की प्रतिबद्धता जतायी है।

अप्रैल के मध्य में श्रीलंका ने विदेशी ऋण प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में अपनी अक्षमता जाहिर करते हुए दिवालिया होने की घोषणा की थी। देश में विदेशी मुद्रा की भारी कमी हो गई है, जिससे वह खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर पा रहा है। इस कारण देश में व्यापक स्तर पर सरकार विरोधी प्रदर्शन किए जा रहे हैं और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग की जा रही है।

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